
फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के अल्प संख्यक दर्जे पर मंडराया खतरा।
Red Fort Blast: दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार धमाके में 12 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, जबकि दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस मामले में फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी NIA समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर है। अब तक जांच में अल फलाह यूनिवर्सिटी से कई खतरनाक आतंकियों का कनेक्शन भी सामने आ चुका है। ऐसे में अब यूनिवर्सिटी पर प्रशासनिक शिकंजा कसता जा रहा है। 12 नवंबर को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने यूनिवर्सिटी को मान्यता से जुड़े दावों पर नोटिस जारी किया था, जबकि अब राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग (NCMEI) ने अल फलाह मेडिकल कॉलेज के 'अल्प संख्यक' दर्जे (Minority Status) को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने इसके स्पष्टीकरण के लिए हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को यूनिवर्सिटी के दस्तावेजों समेत दिल्ली तलब किया है।
दरअसल, 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास कार धमाके में शामिल आरोपियों का संबंध फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी निकलने के बाद यूनिवर्सिटी की साख पर विवाद बढ़ गया है। HT की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियों की जांच का केंद्र रही फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के 'अल्प संख्यक' दर्जे (Minority Status) पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इसको लेकर जारी नोटिस में NCMEI यानी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने फरीदाबाद के अल-फलाह विवि से सवाल पूछा है कि उनका अल्पसंख्यक दर्जा क्यों न निरस्त किया जाए?
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग (NCMEI) ने इस मामले में सख्ती अपनाते हुए 4 दिसंबर को फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को दिल्ली तलब किया है। इस दौरान हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को अल फलाह यूनिवर्सिटी से मूल दस्तावेज लाने को कहा गया है। इसमें मैनेजिंग बॉडी, ट्रस्ट का ढांचा और ट्रस्ट डीड समेत पिछले तीन सालों की वित्तीय फंडिंग की डिटेल मांगी गई है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी में नियुक्ति की प्रक्रिया की पूरी डिटेल, टीचरों की नियुक्तियां और गवर्निंग बॉडी की बैठकों का विवरण समेत प्रशासनिक और अकादमिक एडमिशन के आंकड़े भी पेश करने को कहा गया है।
एक अधिकारी ने बताया कि आयोग ने ये चेतावनी भी दी है कि अगर चार दिसंबर को हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पेश नहीं हुए या संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए तो संस्थान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा सकती है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने हरियाणा शिक्षा विभाग को एक सत्यापन रिपोर्ट (Verification Report) दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें अल फलाह यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान की मान्यता मिलने के बाद से किए गए निरीक्षणों (Inspections), निगरानी कार्यों समेत शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी के बीच हुए पत्राचार (Correspondence) का पूरा विवरण मांगा गया है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग जांच के दौरान देखेगा कि क्या अल फलाह यूनिवर्सिटी का संचालन अभी भी उसी अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा किया जा रहा है, जिसका ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व है? क्या यूनिवर्सिटी के स्वामित्व या नियंत्रण में कोई बदलाव आया है? क्या अल्पसंख्यक दर्जे के लिए जरूरी शर्तें अभी भी बरकरार हैं? दरअसल, एनआईए की जांच में पता चला है कि दिल्ली में विस्फोटक से भरी कार चलाने वाला डॉ. उमर उन-नबी और फरीदाबाद में भारी विस्फोटक के साथ गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल शकील गनई इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। इसके अलावा लखनऊ से गिरफ्तार डॉ. शाहीन समेत कई आरोपियों के संबंध भी इसी यूनिवर्सिटी से मिले हैं।
इस बीच राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आरोपी बनाए गए चारों डॉक्टरों के नाम अपने मेडिकल रजिस्टर से हटा दिए हैं। इनमें डॉक्टर मुजफ्फर अहमद राथर, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुजम्मिल शकील गनई और डॉ. शाहीन शाहिद शामिल हैं। इसके अलावा 18 नवंबर को ईडी ने अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को भी गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत की गई थी। जांच एजेंसियों का कहना है कि अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन यूनिवर्सिटी की मान्यता वाले फर्जी दावों और धन से जुड़ी गड़बड़ी में शामिल हैं। इसके बाद इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) ने अल फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता भी रद कर दी है।
Published on:
23 Nov 2025 01:50 pm
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