
AIDS is continuously increasing in the districtनरसिंहपुर. जिले में लाइलाज जानलेवा बीमारी एड्स के रोगियों की बढ़ती संख्या निरंतर बढ़ रही है। जिसकी सबसे बड़ी वजह लोगों में बनी लापरवाही है जो बीमारी की रोकथाम के लिए चल रहे शासन-प्रशासन के प्रयासों पर पानी फेरती दिख रही है। जिले में वर्तमान में एड्स रोगियों की संख्या 1052 तक पहुंच गई है। यह रोगी जिले में वर्ष 2006 से अब तक हुईं जांच के दौरान मिले हैं। खास यह है कि इन रोगियों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की संख्या भी अच्छी-खासी है, कुछ तो बच्चे भी हैं जिनको जन्म से यह रोग मिला है। हालांकि बच्चों की संख्या बेहद कम है।
जिले में एड्स के बढ़ते मरीजों ने नया खतरा बढ़ा दिया है। इस बीमारी से बचाव के लिए भले ही वर्षभर जागरूकता कार्यक्रम होते रहते हैं, लेकिन जिस तरह जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ रहा है, नए-नए रोगी सामने आ रहे हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अधिकांश मरीजों के मामले में यह बात सामने आ रही है कि उनके रोग की वजह नशा और असुरक्षित संबंध हैं। जिससे एक रोगी से दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति में एड्स का संक्रमण फैल रहा है। जिले में रोगियों के बढऩे की एक वजह यह भी है कि पूरे जिले का परिक्षेत्र हाइवे-रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है, पड़ोसी सात जिलों की सीमाएं लगी हैं, साथ ही कामकाज, व्यापार व अन्य कार्यो से देश के विभिन्न प्रांतों के लोगों से लोगों की आवाजाही बनी रहती है।
अलग-अलग स्तर पर जांच में सामने आ रहे रोगी
जिले में वर्ष 2006 से एड्स रोगियों की जांच की सुविधा आइसीपीसी केंद्र के जरिए शुरू हुई थी। वर्ष 2023 में 15 हजार 916 महिला-पुरुषों की जांच में 60 मरीज मिले थे जबकि 8994 गर्भवती महिलाओं की जांच में 20 गर्भवती महिलाओं को संक्रमित पाया गया था। इसी तरह वर्ष 2024 में 14 हजार 781 जांच में 81 मरीज मिले थे, वहीं
9 हजार 51 गर्भवती महिलाओं की जांच में 11 गर्भवती महिलाओं को एड्स का संक्रमण पाया गया था। इस वर्ष अब तक 7 हजार 202 पुरुषों की जांच में 53 एवं 4 हजार 741 महिलाओं की जांच में 16 महिलाएं संक्रमित मिली हैं। जबकि 7 हजार 534 गर्भवती महिलाओं की जांच में 6 गर्भवती महिलाएं संक्रमित मिली हैं।
जिले के जांच केंद्रों में बढ़ रहे संसाधन
जिले में एड्स रोगियों की जांच एवं उपचार, परामर्श के लिए निरंतर सुविधाएं बढ़ रही है। तीन आइसीटीसी केंद्र है जिनमें एचआइवी की निशुल्क जांच होती है, परामर्श मिलता है और उपचार दिया जाता है। जिले भर में 30 एफआइसीटीसी केंद्र, एक-एक एसटीडी क्लीनिक व ओएसटी केंद्र है। जो यौन रोगों की निशुल्क जांच, उपचार के साथ ही इंजेक्शन से नशा करने वाले लोगों का इलाज करते हैं। वहीं तीन एनजीओ हाईरिस्क ग्रुप एचआइवी संक्रमित मरीजों का फालोअप लेते है। एड्स नियंत्रण समिति का कहना है कि जो मरीज चिन्हित हैं वह नियमित दवाइयां ले रहे हैं।
हाइरिस्क ग्रुप की श्रेणी में 676 लोग
जिले में इंजेक्शन से नशा करने वाले लोगों की संख्या ढाई सौ के पार बताई जा रही है वहीं हाइरिस्क ग्रुप श्रेणी में जिनको रखा गया है उनकी संख्या करीब 676 है। जिनकी निगरानी से लेकर इलाज की सुविधा और जरूरी संसाधनों की पूर्ति समिति के जरिए कराई जाती है।
सोमवा से यह कार्यक्रम
आज सोमवार को विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में कलेक्ट्रेट से 10 दिवसीय जागरूकता कार्यक्रमों की शुरूआत होगी। केंद्रीय जेल में आज शाम 4 बजे जागरूकता कार्यक्रम, प्रश्न मंच, जिला अस्पताल में आयोजन, स्कूल-कॉलेज में रेड रिबिन व एनजीओ के साथ आयोजन होंगे। आठ दिसंबर को कॉलेज ऑडिटोरियम में पुरस्कार वितरण, रैली आदि गतिविधियां होंगी।
वर्जन
जिले में जांच के प्रति लोगों में जागरूकता तो बढ़ रही है। लेकिन मरीजों की संख्या जिस तरह बढ़ रही है वह चिंताजनक है, लोग लापरवाही बरत रहे हैं। समिति के कार्यक्रम निरंतर वर्ष भर होते रहते हैं। इस साल अब तक 75 मरीज मिल चुके हैं जिससे जिले में कुल चिन्हित मरीजों की संख्या 1052 हो गई है।
Published on:
30 Nov 2025 09:59 pm
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