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गोबर से उभरती नई संभावनाएँ,नवाचार का केंद्र बन रही गोशाला

New possibilities emerge from cow dung, the cowshed is becoming a hub of innovation. The vermicompost unit at Trinetri Cowshed is a step towards self-reliance

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Trinetri Cowshed

Trinetri Cowshed

त्रिनेत्री गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट से स्वावलंबन की ओर कदम

hub of innovation

नरसिंहपुर- गोशालाएं अब सिर्फ गोवंशों का आश्रय स्थल नहीं रहीं बल्कि नवाचार और स्वावलंबन के प्रयोगशाला बनती जा रही हैं। इसका उदाहरण है त्रिनेत्री सेवा समिति डांगीढाना द्वारा संचालित त्रिनेत्री गोशाला बहोरीपार, जहां गोवंश संरक्षण के साथ.साथ गोबर आधारित वैकल्पिक आय मॉडल विकसित किए जा रहे हैं। पशुपालन विभाग के मार्गदर्शन में यहां वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण की यूनिट शुरू कर गोशाला ने स्थायी आय की नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। गोशाला में वर्तमान में 200 से अधिक गोवंश आश्रय पाए हुए हैं। संख्या बढऩे के साथ ही पीछे की ओर एक नया सेट भी तैयार किया जा रहा है ताकि अतिरिक्त गोवंश को सुरक्षित स्थान मिल सके। इन्हीं प्रयासों के बीच गोशाला को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है,गोबर से वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन। यह न केवल गोबर का वैज्ञानिक उपयोग है, बल्कि जैविक खेती को बढ़ावा देने वाला पर्यावरण-अनुकूल कदम भी है।
स्वच्छ गोशाला से स्वावलंबी गोशाला तक
कलेक्टर रजनी सिंह, जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र नागेश और पशु पालन विभाग के उपसंचालक डॉ सुनील कुमार ब्रजपुरिया के निर्देशन में तैयार इस यूनिट ने गोशाला के कामकाज में एक बड़ा बदलाव ला दिया है।मार्गदर्शन की जिम्मेदारी डॉ प्रवीण पटेल और डॉ संजय माझी संभाल रहे हैं, जबकि इस नवाचार को जमीन पर उतारने में समिति अध्यक्ष अजय दादा पटेल, सचिव नवनीत ऊमरे, कथावाचिका शुभी दुबे,दीपक झारिया, आदित्य झारिया समेत कई सेवाभावी कार्यकर्ता जुटे हुए हैं।
नस्ल सुधार और चारे की वैज्ञानिक व्यवस्था
स्वावलंबन के साथ.साथ उत्पादक गोवंश के संवर्धन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।नस्ल सुधार के लिए भारतीय मूल का उत्तम साहीवाल नंदी गोशाला में रखा गया है। चारे की निरंतर उपलब्धता के लिए 10 एकड़ में सुपर नेपियर घास का वैज्ञानिक प्रबंधन किया जा रहा है।सभी गोवंश प्रतिदिन गोचारण के लिए खुले क्षेत्र में छोड़े जाते हैं, जिससे उनकी शारीरिक सक्रियता और स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
गोबर से उत्पादों की पूरी श्रृंखला की तैयारी
बर्मी कम्पोस्ट के बाद समिति अब गो.कास्ट, गोबर के गमले, दीये और अन्य उपयोगी उत्पाद बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। जनवरी तक इसका उत्पादन प्रारंभ करने का लक्ष्य है। ये उत्पाद न केवल बाजार में पहचान बनाएंगे, बल्कि गोशाला की आय को और भी मजबूत आधार देंगे।
चार गोशालाओं में 600 गोवंश की सेवा
त्रिनेत्री सेवा समिति वर्तमान में जिले की चार गोशालाओं में लगभग 600 गोवंश का संचालन व संवर्धन कर रही है। समिति का लक्ष्य है कि परंपरागत गोसेवा को आधुनिक तकनीकों के साथ जोडकऱ एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया जाए जो व्यवस्थितए आर्थिक रूप से टिकाऊ और पर्यावरण हितैषी हो।चार गोशालाओं में 600 गोवंश की सेवा
त्रिनेत्री सेवा समिति वर्तमान में जिले की चार गोशालाओं में लगभग 600 गोवंश का संचालन व संवर्धन कर रही है। समिति का लक्ष्य है कि परंपरागत गोसेवा को आधुनिक तकनीकों के साथ जोडकऱ एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया जाए जो व्यवस्थितए आर्थिक रूप से टिकाऊ और पर्यावरण हितैषी हो।