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संपादकीय: विकसित भारत के लिए ‘बिग 4’ का विकल्प जरूरी

भारत को अब 'बिग 4' पर निर्भरता खत्म कर देशी सोच, देशी विशेषज्ञता और देशी आत्मबल पर आधारित भविष्य की ओर बढऩा होगा।

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प्रधानमंत्री कार्यालय में हाल ही हुई एक बैठक से यह स्पष्ट संकेत मिला कि सरकार देश में वैश्विक 'बिग 4' कंसल्टिंग फर्मों- डेलॉइट, ईवाय, केपीएमजी और पीडब्ल्यूसी की निर्भरता कम कर अपनी घरेलू सलाहकार कंपनियों को आगे लाने की दिशा में गंभीर है। यह केवल व्यावसायिक आत्मनिर्भरता का ही प्रश्न नहीं है, बल्कि रणनीतिक संप्रभुता और नीतिगत स्वतंत्रता का भी मामला बनता जा रहा है।

भारत में नीति निर्धारण से लेकर सरकारी सुधारों और कॉर्पोरेट पुनर्गठन तक के कई क्षेत्रों में विदेशी कंसल्टिंग फर्मों की भूमिका बहुत अधिक रही है। इन फर्मों ने वर्षों से केंद्र और राज्य सरकारों के साथ अनेक परियोजनाओं पर कार्य किया है। हालांकि सवाल भी उठते रहे हैं कि क्या विदेशी सलाहकार हमारी जमीनी सच्चाइयों को देशज संस्थानों जितनी बारीकी से समझ सकते हैं? सरकार की चिंता दो स्तरों पर है- पहला, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता, और दूसरा, स्थानीय प्रतिभा का उचित उपयोग।

जब नीति, प्रशासन और रणनीतिक प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी विदेशी कंपनियों को दी जाती है, तब देश के भीतर का नॉलेज इकोसिस्टम कमजोर होता है और निर्णय प्रक्रिया पर बाहरी प्रभाव की आशंका बढ़ती है। भारत के पास आज मजबूत टेक्नोलॉजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर है, बेजोड़ युवा प्रतिभा है और उद्यमिता का विस्तार भी हो रहा है। ऐसे में यह उपयुक्त समय है जब देश अपनी खुद की कंसल्टिंग इंडस्ट्री को आकार देने का प्रयास करे। स्टार्टअप संस्कृति, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट संस्थानों से निकलते नवाचारों को नीति-निर्माण और कॉर्पोरेट सलाह में बदला जा सकता है।

आत्मनिर्भर भारत केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रह सकता, यह विचार और योजना के स्तर पर भी स्वावलंबी बने, तभी वह टिकाऊ और पूर्ण होगा। भारत को अब 'बिग 4' पर निर्भरता खत्म कर देशी सोच, देशी विशेषज्ञता और देशी आत्मबल पर आधारित भविष्य की ओर बढऩा होगा। लेकिन, सवाल है कैसे? सबसे पहले, सरकार को स्थानीय फर्मों के लिए एक 'प्राथमिकता नीति' बनानी होगी। जैसे छोटे और लघु उद्योगों को कुछ सरकारी टेंडरों में प्राथमिकता दी जाती है, वैसे ही कंसल्टिंग प्रोजेक्ट्स में घरेलू संस्थानों को मौका दिया जाए। दूसरा कदम होगा गुणवत्ता और पारदर्शिता का निर्माण। 'बिग 4' की सफलता केवल उनके ग्लोबल ब्रांड या नेटवर्क पर आधारित नहीं है।

यह उनकी कार्यप्रणाली की गुणवत्ता, रिपोर्टिंग ढांचे और प्रोफेशनलिज्म पर भी टिकी है। भारत की घरेलू फर्मों को भी इसी स्तर की पेशेवर प्रतिबद्धता अपनानी होगी, जिससे वे सरकार और कॉर्पोरेट जगत में विश्वास अर्जित कर सकें। तीसरा, थिंक टैंक और कंसल्टिंग फर्मों के बीच गतिशील इकोसिस्टम के लिए शैक्षिक संस्थानों और नीति संस्थाओं के बीच मजबूत साझेदारी बनानी होगी। यह नीति निर्माण को स्थानीय संदर्भों से जोडऩे में सहायक होगा।