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Rajasthan : हर आहट पर मां चौंक जाती है, कहीं ललित तो नहीं…64 दिन बीते, अब भी है बेटे के लौटने की आस

Rajasthan : अनन्त चतुर्दशी के दिन 6 सितम्बर को बांडी नदी में ललित सेन बह गया था। आज तक पता नहीं चला। लेकिन 64 दिन से मां की निगाहें सिर्फ घर के दरवाजे पर टिकी हुईं है। हर आहट पर वो चौंक जाती है। कहीं ललित तो नहीं। बस अब एक ही आस... लाडला लौटेगा। पढ़ें एक भावुक स्टोरी।

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Rajasthan Pali emotional story Mother gets startled at every sound wondering if it is Lalit Sen

लापता ललित के माता-पिता के साथ घर में बैठी बहनें। फोटो : सुरेश हेमनानी

Rajasthan : पाली. ' म्हारो ललित पाछो आवैला…, वो म्हनै छोड़नै कठैई नी जा सके…, वो म्हारे न वनै पापा रो न बैन रो हियारो है…।' ये अल्फाज कहते हुए इन्द्रा कॉलोनी में रहने वाली सोनी देवी की आंखों से आंसू बहने लगे। इस मां को अभी 64 दिन बाद भी आस है कि उसका बेटा लौटेगा। जो अनन्त चतुर्दशी के दिन 6 सितम्बर को गणपति विसर्जन के दौरान उफनती बांडी नदी में बह गया था। उस दिन कुदरत दो घरों पर कहर बनकर टूटी थी। एक था विजयसिंह व दूसरा ललित सेन। विजयसिंह का शव तो एनडीआरफ की टीम को कुछ दिनों बाद मिल गया, पर ललित आज तक नहीं लौटा है। उसे खोजने के प्रयास भी प्रशासन बंद कर चुका है।

इन्द्रा कॉलोनी में रहने वाले हरिराम सेन व सोनी देवी के साथ नानी सुखिया बाई घर के दरवाजे पर आहट होते ही एक ही आस से उस तरफ देखते हैं कि ललित आया होगा। सर्विस सेंटर पर कार्य करने वाला 32 साल का ललित ही इस परिवार का सहारा था।

बुजुर्ग पिता ने फिर चलाना शुरू किया ठेला

ललित के पिता की आंखें बेटे की राह ताकते-ताकते थक गई है। वे अकेले हैं, जो मां, बेटी व सास को ढांढ़स बंधा रहे है। परिवार की जठराग्नि मिटाने के लिए उन्होंने चार दिन पहले ही फिर से हिम्मत जुटाकर बुढ़ापे में खमण व चिप्स का ठेला चलाना शुरू किया है। बेटी के विवाह का बोझ भी अभी उनके कंधों पर है। उन्होंने बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन भी किया है, लेकिन ललित के नहीं मिलने से वह भी अटका हुआ है।

बेटी का टूट गया रिश्ता

ललित के साथ उसकी बड़ी बहन संतोष की सगाई एक ही घर में मुंडारा के पास डूंगली गांव में ललित के नदी में बहने के 20 दिन पहले की थी। ललित के जाने के बाद उसकी बहन की सगाई भी टूट गई। अब आर्थिक तंगी से जूझ रहे बुजुर्ग पिता की चिंता यह है कि कैसे बेटी के हाथ पीले होंगे? जो यह कर सकता था, उसका तो कोई पता ही नहीं चल रहा।