Rahul-Tejashwi की जोड़ी क्या इस बार भी साथ लड़ेगी चुनाव। (Photo: IANS)
Bihar Assembly Election : बिहार में विधानसभा चुनाव का टाइम जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, महागठबंधन के दलों के बीच खींचतान तेज हो गई है। सीट बंटवारे के बाद अब नया विवाद 'सीएम फेस' को लेकर खड़ा हो गया है। आरजेडी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने साफ कह दिया है कि उनकी पार्टी बिना मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा किए चुनाव नहीं लड़ेगी। तेजस्वी के इस बयान से पटना से लेकर दिल्ली तक हलचल मची है। गठबंधन की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस इस मामले में साफ रुख अपनाने से बच रही है।
तेजस्वी यादव ने अपनी 'अधिकार यात्रा' के दौरान एक टीवी चैनल से कहा कि क्या हम बीजेपी हैं कि चेहरा ही नहीं देंगे? हम चुनाव बिना सीएम फेस बताए नहीं लड़ेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार को बदलने की जरूरत है और मुख्यमंत्री की कुर्सी महज लक्ष्य नहीं बल्कि साधन है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तेजस्वी ने बीते महीने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी को देशव्यापी विपक्षी गठबंधन INDIA का प्रधानमंत्री चेहरा मानने में कोई हिचक नहीं दिखाई थी। लेकिन बदले में कांग्रेस की ओर से उन्हें बिहार में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर समर्थन नहीं मिला है। यही असमंजस अब महागठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
शुक्रवार को दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस ने साफ किया कि मौजूदा विधायकों का टिकट नहीं काटा जाएगा। इसके साथ ही पार्टी उन सीटों पर भी दावा करेगी, जहां वह बीते चुनाव में बहुत कम अंतर से हारी थी। ऐसी करीब 13 सीटें बताई जा रही हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि पार्टी को संगठन मजबूत करने और अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से सक्रिय करने की जरूरत है। ऐसे में सीएम फेस की बहस से ज्यादा वह अपने प्रत्याशियों की सूची और सीटों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है। राहुल गांधी से पूछा गया था कि महागठबंधन का सीएम फेस कौन होगा, तो उनका जवाब था कि यह मिल बैठकर तय किया जाएगा।
बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सीमांचल और अन्य क्षेत्रों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। वहीं आरजेडी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। इस बार स्थिति और भी जटिल है, क्योंकि AIMIM जैसे दल भी गठबंधन में शामिल होने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को डर है कि अगर तेजस्वी को अभी से सीएम फेस मान लिया गया, तो वह ढंग से सीटों के लिए सौदेबाजी नहीं कर पाएगी।
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इसमें राजद को 75 सीट मिली थी जबकि जदयू और कांग्रेस को क्रमश: 43 और 19 सीटें मिली थीं। सीपीआई एमएलएल को 12 सीट मिली थीं। वहींं बीजेपी को 74 सीट मिली थीं।
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Updated on:
20 Sept 2025 03:40 pm
Published on:
20 Sept 2025 03:10 pm
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