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Mamta Bengal SIR Row: पश्चिम बंगाल चुनाव में BJP की राह आसान कर सकती हैं ममता की ये 5 चुनौतियां

Mamta Bengal SIR Row: SIR को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जहां आक्रामक हैं, वहीं भाजपा भी हमलावर है। अगले साल होने वाले चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

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Bengal election 2026

पश्चिम बंगाल चुनाव ममता बनाम मोदी ही रहने वाला है। (फोटो डिजाइन: पत्रिका)

बिहार विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद अब भाजपा पश्चिम बंगाल जीतने में जुट गई है। यह तय माना जा रहा है कि मुकाबला सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में ही होगा। चुनाव (मार्च-अप्रैल) में छह महीने भी नहीं बचे हैं। ममता बनर्जी के सामने जनाधार और सत्ता बचाने की बड़ी चुनौती है।

ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। 25 नवंबर को उन्होंने खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर बीजेपी ने बंगाल में उन्हें निशाने पर लिया तो वह देश भर में उसकी बुनियाद हिला देंगी। घायल शेरनी ज्यादा खूंखार होती है। राज्य में चल रहे मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) पर उन्होंने खुली लड़ाई छेड़ दी है। जहां वह भाजपा को निशाने पर ले रही हैं, वहीं चुनाव आयोग के सामने भी इस मुद्दे को ले जा रही हैं। 28 नवंबर को उन्हें चुनाव आयोग से मिलने का वक्त भी मिला है। उधर, भाजपा भी SIR को लेकर हमलावर है।

भाजपा का जोर किन मुद्दों पर

भाजपा ने SIR और अवैध घुसपैठ को मुद्दा बनाने के संकेत दिए हैं। सोशल मीडिया के जरिए इसे मुद्दा बनाने के लिए मशीनरी को सक्रिय कर दिया गया है। इसका थीम यह होगा कि कैसे वोट बैंक की राजनीति के चलते ममता बनर्जी सरकार ने शह देकर पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों की संख्या बढ़ा दी है और राज्य की जनता का हक मारा जा रहा है।
भाजपा ने चुनाव आयोग को शिकायत भी दी है, जिसमें राज्य में 13 लाख से ज्यादा ‘फर्जी वोटर्स’ होने की बात कही गई है।

ममता के मुद्दे क्या?

ममता बनर्जी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की एकजुटता बनाए रखने और उनकी सक्रियता बनाए रखने पर जोर दे रही हैं। बीजेपी को घेरने के लिए वह दो मुद्दे प्रमुखता से उठा रही हैं।
पहला: वह कह रही हैं कि केंद्र सरकार ने बंगाल का फंड रोक कर राज्य का विकास रोका है।
दूसरा: उनका आरोप है कि एसआईआर के जरिए लोगों से वोट का हक छीनने की कोशिश की जा रही है।

तृणमूल कांग्रेस के सामने चुनौतियां क्या?

1. बढ़त कायम रखना

पहले चुनावी नतीजों के आंकड़ों के आधार पर आकलन करते हैं। इस लिहाज से तृणमूल कांग्रेस के सामने ये चुनौतियां हैं:
2016 की तुलना में 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का वोट शेयर (लड़ी गई सीटों पर) करीब साढ़े तीन प्रतिशत (45.02 से 48.59) बढ़ा था। उधर, भाजपा ने अपना वोट शेयर 10.24 से 38.1 कर लिया।

लड़ी गई सीटों पर वोट शेयर

पार्टी2016 विधानसभा चुनाव2021 विधानसभा चुनाव
तृणमूल45.02 48.59
बीजेपी10.24 38.1
कांग्रेस40.22 10.01
भाकपा37.27 5.53
माकपा38.5 9.84

सभी सीटों पर वोट शेयर

पार्टी 2016 विधानसभा चुनाव2021 विधानसभा चुनाव
तृणमूल44.91 48.02
बीजेपी10.16 37.97
कांग्रेस 12.25 3.03
भाकपा 1.45 0.2
माकपा 19.754.71

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में सीट शेयर

सीटों की संख्या के मामले में भी जहां तृणमूल 211 से 215 पर पहुंची, वहीं भाजपा 3 से 77 पर चली गई। इस लिहाज से तृणमूल के लिए अपनी बढ़त कायम रखते हुए भाजपा की बढ़त की रफ्तार को रोकना बड़ी चुनौती होगी।

पार्टी2016 विधानसभा चुनाव2021 विधानसभा चुनाव
तृणमूल211215
बीजेपी377
कांग्रेस4400
भाकपा0100
माकपा2600

2. भ्रष्टाचार बनेगा बीजेपी का बड़ा हथियार

भ्रष्टाचार का मुद्दा भी चुनाव में ममता के खिलाफ बीजेपी का बड़ा हथियार हो सकता है। स्कूलों में भर्ती घोटाला में ममता सरकार को कोर्ट से भी झटका लग चुका है। इसलिए इस मोर्चे पर काट ढूंढना ममता के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ममता सरकार पर कमीशनखोरी का आरोप लगा चुके हैं। चुनाव में बीजेपी इसे बड़ा हथियार बनाने से नहीं चूकेगी।

3. अपराध का बढ़ता ग्राफ

पश्चिम बंगाल में अपराध भी बढ़े हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में विदेशी लोगों द्वारा सबसे ज्यादा अपराध पश्चिम बंगाल में ही किए गए। राज्य में राजनीतिक हत्या के मामले भी अक्सर सामने आते रहते हैं।
बीजेपी ने बिहार में ‘जंगलराज’ को मुद्दा बना कर अच्छा परिणाम पा लिया है। ऐसे में वह बंगाल में ‘गुंडाराज’ को बतौर मुद्दा आजमाने में शायद ही पीछे रहे।

4. पार्टी का आंतरिक असंतोष

तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी भी आने वाले चुनाव में ममता बनर्जी के लिए बड़ी चुनौती होगी। कुछ महीने पहले पार्टी में बड़े नेताओं के मतभेद जगजाहिर भी हो गए थे। अगस्त में कल्याण बनर्जी का लोकसभा में मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) के पद से इस्तीफा भी इसी का नतीजा था। ममता बनर्जी द्वारा अभिषेक बनर्जी को ज्यादा महत्व दिए जाने से राज्य में भी कई नेता नाराज बताए जाते हैं।

5. सत्ता विरोधी लहर

बीजेपी 'पश्चिम बंगाल में बदलाव की जरूरत' का नारा लेकर चुनाव मैदान में उतरने का संकेत दे चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेता अपने भाषणों में आरोप लगाते रहे हैं कि ममता सरकार केंद्र की योजनाओं का फायदा बंगाल की जनता तक नहीं पहुंचने दे रही है। ममता बनर्जी साल 2011 से सीएम हैं। पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को मिले वोट और सीटों में मामूली इजाफा ही हुआ था। इसे देखते हुए इस बार सत्ता विरोधी लहर से निपटना ममता के लिए ज्यादा चुनौती भरा हो सकता है।

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