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कुत्ते की तेरहवीं, बंदर का अस्थि विसर्जन, मालिक के साथ तोते का अंतिम संस्कार… ये 3 किस्से पढ़कर रो देंगे आप

MP News: कभी-कभी छोटे-छोटे जीव भी दिल में इतनी गहरी जगह बना लेते हैं कि उसका जाना इंसान के लिए किसी बड़े दुख से कम नहीं होता। हम उसे पालतू कहते हैं, लेकिन सच तो ये है कि वो हमारे परिवार का हिस्सा बन जाता है। मध्य प्रदेश के गांव-कस्बों से कई ऐसी सच्ची कहानियां सामने आई हैं, जिन्हें सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आंखें नम हो जाती हैं।

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MP News man and animal love कुत्ते की तेरहवीं, बंदर की अस्थि विसर्जन, मालिक के साथ तोते का अंतिम संस्कार... (फोटो सोर्स : AI जेनरेटेड)

MP News: कभी-कभी छोटे-छोटे जीव भी दिल में इतनी गहरी जगह बना लेते हैं कि उसका जाना इंसान के लिए किसी बड़े दुख से कम नहीं होता। हम उसे पालतू कहते हैं, लेकिन सच तो ये है कि वो हमारे परिवार का हिस्सा बन जाता है। मध्य प्रदेश के गांव-कस्बों से कई ऐसी सच्ची कहानियां सामने आई हैं, जिन्हें सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आंखें नम हो जाती हैं। ये कहानियां बताती हैं कि प्रेम की कोई भाषा या जाति-प्रजाति नहीं होती वो बस दिल से दिल तक जाता है। फिर वो इंसान से इंसान का हो या फिर इंसान और जानवर का…मध्य प्रदेश में जानवर और इंसान के बीच अनूठे रिश्तों की मिसाल बने ये किस्से

बंदर की मौत पर मृत्युभोज, 4 हजार ने किया भोजन

राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से लगे गांव दरावरी में बंदर की मौत पर अंत्येष्टि के बाद अब मृत्यु भोज भी किया गया। इसके लिए ग्रामीणों ने एक लाख रुपए एकत्रित किए और चार हजार लोगों ने भोजन भी किया। बंदर की मौत के बाद बैंड-बाजे के साथ मंगलवार (18 नवंबर) को मृत्यु भोज का आयोजन किया गया। आयोजन में करीब 35 किमी दूर तक के गांव के लोग शामिल हुए। बंदर की मृत्यु से दुखी ग्रामीणों ने चंदा कर भोज आयोजित किया था। ग्रामीणों ने आसपास के गांव सहित रिश्तेदारों को भी बुलाया था। बंदर की अंतिम यात्रा डीजे के साथ निकाली गई।

हरिसिंह दिलावरी ने बताया, जंगल से आए बंदर की 7 नवंबर को हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 8 नवंबर को बंदर के लिए डोल बनाकर अर्थी सजाई गई और मुक्तिधाम पर विधि-विधान से बंदर का अंतिम संस्कार किया गया था। 11वें दिन सोमवार को गांव के पटेल बीरमसिंह सौंधिया पांच पंचों के साथ अस्थियां लेकर उज्जैन गए और पंडित द्वारा विधि विधान से बंदर की अस्थियों को शिप्रा नदी में विसर्जित किया। एक जंगली बंदर, जिसका कोई नाम भी नहीं था, उसके लिए पूरा गांव एकजुट हो गया। ये प्रेम नहीं तो और क्या है!

मालिक की मौत के सदमे में गई तोते की जान

बेजुबान परिंदे के साथ इतना आत्मीय रिश्ता बिरला ही देखने को मिलता है। गुना जिले के मधुसूदनगढ़ में ऐसा ही मामला सामने आया। सरकारी स्कूल में हेडमास्टर रहे 78 वर्षीय लक्ष्मी नारायण साहू की लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को मौत हो गई। इससे आहत पालतू तोते ने भी उनकी मौत के कुछ ही घंटों बाद प्राण त्याग दिए। बता दें कि, रिटायर्ड हेडमास्टर को पशु-पक्षियों से विशेष लगाव था। उन्होंने गाय और 3 तोते पाल रखे थे। गोपाल नाम के तोते से उनका कुछ खास लगाव था। शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण का अंतिम संस्कार उनके तोते के साथ विधि-विधान से किया गया। ये किस्सा हमें सिखाता है कि सच्चा बंधन वही है जो दिल से दिल तक जाता हो, जहां एक की धड़कन दूसरे की सांसों में बसी हो।

दतिया में कुत्ते की तेरहवीं ने छू लिया सबका दिल

मध्य प्रदेश के दतिया जिले के भांडेर क्षेत्र में भी इंसान और पशु के बीच पवित्र प्रेम की मिसाल देखने को मिली। यहां एक व्यक्ति ने अपने पालतू कुत्ते रॉकी की मौत के बाद पूरी श्रद्धा के साथ उसका अंतिम संस्कार किया और अपने परिवार का सदस्य मानकर उसकी तेरहवीं का आयोजन किया। रॉकी पिछले 12 सालों से परिवार का हिस्सा था। परिवार उसे अपने बेटे की तरह मानता था। तेरहवीं का आयोजन पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि ये पहली बार था जब इलाके वालों ने किसी पालतू जानवर की तेरहवीं देखी और वो भी इतने बड़े स्तर पर। ये घटना सिर्फ एक कुत्ते की नहीं, बल्कि उस अटूट रिश्ते की है जो इंसान और जानवर के बीच पनपता है।