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10वीं कक्षा में थीं तभी हो गया था विवाह, सरोज की कहानी हर महिला के लिए प्रेरणादायक

जब सरोज दसवीं की पढ़ाई कर रही थीं, तभी इनकी शादी हो गई। एक बार लगा कि आगे पढ़ने का सपना अब पीछे छूट गया है, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। सरोज की कहानी हर महिला के लिए प्रेरणादायक है।

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अलवर

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Santosh Trivedi

Sep 30, 2025

saroj yadav

Photo- Patrika

अलवर। शादी के बाद अक्सर महिलाओं के लिए पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो जाता है। घर-परिवार की जिम्मेदारी के कारण वे इसके लिए समय नहीं निकाल पाती हैं, लेकिन पढ़ने और कुछ अलग करने की इच्छाशक्ति हो और ससुराल में सहयोग मिले, तो इनमें से कुछ महिलाओं के लिए यह काम आसान हो जाता है। ऐसी ही एक सफल महिला हैं सरोज यादव।

बहरोड़ क्षेत्र के बिजोरावास गांव की सरोज वर्तमान में अलवर के गवर्नमेंट नर्सिंग कॉलेज से नर्सिंग ऑफिसर का कोर्स कर रही हैं। सरोज यादव पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थीं, लेकिन गांव में बालिकाओं की छोटी उम्र में ही शादी कर दी जाती है।

बीमार की सेवा मानवता की सेवा करना

जब सरोज दसवीं की पढ़ाई कर रही थीं, तभी इनकी शादी हो गई। एक बार लगा कि आगे पढ़ने का सपना अब पीछे छूट गया है, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। दसवीं में अच्छे अंक आए, तो पति शक्ति सिंह व सास सरती देवी ने सरोज को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। सरोज चाहती थी कि कुछ ऐसा किया जाए, जो समाज के काम आए। इसके लिए नर्सिंग के क्षेत्र को चुना। इनका मानना था कि बीमार की सेवा मानवता की सेवा करना है।

एक साल के बेटे और नौकरी के साथ जारी रहा शिक्षा का सफर

सरोज ने दसवीं के बाद वर्ष 2012 में एएनएम के लिए आवेदन किया। एएनएम कोर्स होते ही वर्ष 2015 में 12वीं की पढ़ाई शुरू कर दी। इसी दौरान बेटे का जन्म हो गया। वर्ष 2016 में संविदा कर्मियों की जगह निकली तो नर्सिंग के लिए ऑनलाइन आवेदन किया और एएनएम बन गईं।

नौकरी करते-करते बीए की शिक्षा स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पूरी की और इसके बाद एमए, नेट और जेआरएफ की। सरोज की कहानी उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणादायी है, जो शादी के बाद पढ़ाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती हैं। गांव की रहने वाली सरोज ने अपनी इच्छाशक्ति के चलते पढ़ने और कुछ करने का सपना साकार किया है।