
फोटो डिजाइन पत्रिका। (सोर्स: iamsrk/Instagram)
SRK Turns 60: अभी कुछ दिनों पहले राजधानी के न्यू राजेन्द्र नगर में रामलीला के मंचन के दौरान वहां के आयोजक दर्शकों को फख्र के साथ बता रहे थे कि शाहरुख खान ने भी हमारी रामलीला में 1980 के शुरूआती दौर में बाल कलाकार के रूप में काम किया था। शाहरुख खान का जन्म इसी न्यू राजेन्द्र नगर में 1965 में हुआ था। यहां ही उनका परिवार लंबे समय तक किराए के घर में रहा। अब वो बाल कलाकार बॉलीवुड का किंग खान कहलाता है। उसका आज 60वां जन्म दिन है।
ये बात ज्यादा लोग नहीं जानते होंगे कि जब दूरदर्शन पर टीवी सीरियल फौजी चल रहा था, तब शाहरुख खान और शो के बाकी एक्टर अक्सर कनॉट प्लेस, जनपथ, करोल बाग और साउथ एक्सटेंशन मार्केट में घूमा करते थे। ये आइडिया फौजी के डायरेक्टर राज कुमार कपूर का था। उनका मानना था कि फौजी के कलाकारों को दर्शकों तक पहुंचने के लिए उनके साथ टाइम बिताना चाहिए। इस तरह उन्हें सीरियल के बारे में जानकारी मिलेगी।
एक बार ऐसे ही ट्रिप में फौजी की यूनिट जनपथ मार्केट के फेमस कोल्ड कॉफी जॉइंट डिपॉल्स और आदर्श स्टोर पहुंची। उनमें शाहरुख खान भी थे। आदर्श स्टोर के मालिक ध्रुव भार्गव आज भी उस मीटिंग को याद करते हैं, जब वो एक्टर आया था जो बाद में भारत का सबसे बड़ा सुपरस्टार बन गया।
“मैं फौजी देखता था इसलिए मैंने शाहरुख को तुरंत पहचान लिया। उस दिन से मैं उनका दीवाना हूं, हर फिल्म देखता हूं। वो बहुत इंटेंस एक्टर हैं और दिल से दिल्लीवाला।”
और शायद सबसे जरूरी चीज जो उन्हें दिल्ली से जोड़ती है – वह है दिल्ली गेट कब्रिस्तान, कब्रिस्तान अहले इस्लाम भी कहते हैं। वहां पर उनके माता- पिता दफन हैं। आखिरी बार वो मार्च 2022 में शब-ए-बारात की रात करीब ढाई बजे आए थे। राजधानी सो चुकी थी, वो कुछ दोस्तों के साथ चुपके से आए, पिता ताज मोहम्मद और मां फातिमा लतीफ की संगमरमर की कब्रों के सामने बैठकर कुछ समय तक दुआ मांगी। तब वहां पर दिल्ली यूथ वेलफेयर एसोसिएशन के मेंबर मोहम्मद तकी भी थे। तकी बताते हैं- “शाहरुख ने दोनों कब्रों को स्पर्श किया था। वे सच में बहुत इमोशनल लम्हे थे। उन्होंने वहां से जाने से पहले हमसे थोड़ी बात की। वो पल सेल्फी के लिए नहीं थे।” तकी बताते हैं कि बीती शब-ए-बारात के मौके पर उम्मीद थी कि वे आएंगे इस कब्रिस्तान में। शाहरुख खान 2022 से पहले साल में एक-दो बार तो यहां आ ही जाते थे।
शाहरुख के पिता ताज मोहम्मद उन सेक्युलर लोगों में थे जिन्होंने जिन्ना के दो-राष्ट्र सिद्धांत को ठुकराया और बंटवारे के बाद पेशावर छोड़कर दिल्ली आ गए। “मोहम्मद यूनुस, ताज मोहम्मद और मेरे पिता डब्ल्यूएम बाबर ने सांप्रदायिक दंगों के चरम पर पेशावर छोड़ा और गांधी जी के भारत आए,” यह जानकारी फरहाद सूरी देते हैं। वो दिल्ली के मेयर रहे हैं और उनका शाहरुख खान के परिवार से करीबी संबंध रहा है। उनकी मां ताजदार बाबर भी दिल्ली की कई बार विधायक रही हैं। यूनुस खान अब्दुल गफ्फार खान के करीबी थे। वे ट्रेड फेयर अथॉरिटी के संस्थापकों में से थे।ताज मोहम्मद गौतम नगर में केरोसिन डिपो चलाते थे। गौतम नगर गुलमोहर पार्क के पास है।
“फातिमा लतीफ बहुत गरिमामयी महिला थीं। वो कांग्रेस की एक्टिविस्ट थीं। दिल्ली में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट भी रहीं। इंदिरा गांधी की करीबी थीं। अपने बच्चों को बेस्ट स्कूलिंग दिलाने का श्रेय उन्हीं को जाता,” जे.पी. शर्मा लालधागेवाले बताते हैं, जो मशहूर लेखक भी हैं। उनकी सलाह पर फातिमा जी ने सफदरजंग मकबरे के पास अपने रेस्तरां का नाम रैम्बल से खातिर कर दिया था। उनकी कैंसर से मौत के बाद रेस्तरां बंद हो गया था। वो बत्रा हॉस्पिटल में भर्ती थीं। मां की कोशिशों से शाहरुख सेंट कोलंबस स्कूल में दाखिला पा सके। वहां उनकी पर्सनैलिटी खूब निखरी।
कुछ लोग कहते हैं अब उनकी दिल्ली की विजिट्स कम हो गईं। हां, वे पत्नी गौरी के पंचशील पार्क वाले घर कभी-कभार चुपके से आते हैं। कोई नहीं जानता इसकी वजह। आखिर सक्सेस की कीमत चुकानी पड़ती है। संघर्ष और सफलता के दोस्त अलग होते हैं। लेकिन दिल्ली उन्हें प्यार करती है।
शाहरुख खान के दिल में बसती है दिल्ली। “जिस शहर में वो पैदा हुए, जिधर उन्होंने जवानी बिताई, पढ़ाई की - उससे वे कैसे अलग हो सकते हैं? नामुमकिन। वे बचपन में दोस्तों के साथ डिफेंस कॉलोनी के निरुलाज (जो कुछ साल बाद बंद हो गया), जोर बाग मार्केट और बंगाली मार्केट में घूमा करते थे। दिल्ली ने उन्हें बॉलीवुड के लिए सॉलिड प्लेटफॉर्म दिया,” यह बात कहते हैं मुंबई में रहने वाले मशहूर एस्ट्रोलाजर और वास्तु विशेषज्ञ डॉ. जेपी शर्मा लालधागेवाले। शाहरुख खान की मां फातिमा लतीफ अक्सर उनसे कंसल्ट करती थीं।
कुछ साल पहले दिल्ली के अशोक होटल में एक चैरिटी शो के दौरान वे कपिल शर्मा से दो बार बोले, “हम दिल्लीवाले हैं।" दिल्ली के दिन याद करते हुए हरियाणवी स्टाइल में बात की, जैसी दिल्ली के गांवों में आज भी बोली जाती है।
शाहरुख खान अपने स्कूल में आखिरी बार 20 अक्टूबर 2019 को आए थे। वे स्कूल क्रिकेट टीम के कैप्टन भी थे। स्कूल के बाद 1985-88 तक हंसराज कॉलेज में पढ़े। वे 2016 में 28 साल बाद अपने कॉलेज पहुंचे थे। हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर रमा शर्मा बताती हैं, “शाहरुख इकोनॉमिक्स ऑनर्स के स्टुडेंट थे। इस कोर्स में सिर्फ़ बेस्ट स्टूडेंट्स ही आते हैं। वे कॉलेज के थिएटर में भी एक्टिव थे। उन पर हंसराज फैमिली को गर्व है।”
बंगाली मार्केट के बंगाली स्वीट हाउस के मालिक गिरीश अग्रवाल जैसे लोग बचपन के शरारती शाहरुख खान को आज भी प्यार करते हैं। “वे जब तक दिल्ली में थे, मेरी दुकान और मार्केट में लगातार आते थे। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में भी आते-जाते थे। तब यहां भी आते थे, गिरिश अग्रवाल बताते हैं।
Updated on:
02 Nov 2025 12:39 pm
Published on:
02 Nov 2025 07:30 am
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