
दो कमरे, एक पेड़…यहीं से शुरू हुई छत्तीसगढ़ विस(photo-patrika)
CG News Legislative Assembly: छत्तीसगढ़ विधानसभा अपने 25 साल के इतिहास का एक अहम मोड़ पार करने जा रही है। 18 नवंबर को पुराना विधानसभा भवन आखिरी बार गवाही देगा जब यहां विशेष सत्र आयोजित होगा। वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद से लोकतंत्र की अनगिनत बहसों, निर्णयों और ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा यह भवन अब नई पीढ़ी को एक नए स्वरूप में मिले भवन को सौंपने की तैयारी में है।
लोकसभा अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रपति तक कई राष्ट्रीय हस्तियों ने इस सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अब 25 वर्ष की इस विरासत को समेटते हुए विधानसभा नई राह पर कदम रखने जा रही है-अधिक आधुनिक, तकनीक-सक्षम और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप नए भवन में।
छत्तीसगढ़ विधानसभा की 25 वर्षों की यात्रा केवल एक भवन के विकास की कहानी नहीं, बल्कि संसदीय परंपरा, अनुशासन और जनकल्याण की प्रतिबद्धता की गाथा है। सबसे बड़ी विशेषता ‘स्वयमेव निलंबन’ का अनूठा नियम है, जो 2001 में सर्वसम्मति से बना था।
इसके तहत विधानसभा के गर्भगृह (वेल) में प्रवेश करने वाले सदस्य स्वत: निलंबित हो जाते हैं। यह नियम देश में पहली बार बनाया गया था और अब लोकसभा की नियम समिति ने भी इसकी अनुशंसा की है। यहां से कई ऐसे विधेयक पारित हुए हैं, तो देश को नई दिशा दी है।
छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि रही है। दूसरी विधानसभा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार कर 70 लाख राशन कार्ड वितरित किए गए, जिससे खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित हुई। पांचवीं विधानसभा में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत धान की खरीद पर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस घोषित किया गया, जिससे 24 लाख किसानों को लाभ पहुंचा। छठवीं विधानसभा ने इसे आगे बढ़ाते हुए ‘मोदी की गारंटी’ के तहत किसानों को मुफ्त बिजली और 21 क्विंटल धान खरीद की नीति लागू की। इन निर्णयों से राज्य की कृषि जीडीपी 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है।
अपने निर्माण के बाद से राज्य की विधानसभा ने अनेक चरण देखे हैं। अस्तित्व में आते ही राज्य की जनता के लिए दूरगामी योजनाएं बनाने से लेकर उनके क्रियान्वयन और उन्हें फलीभूत होते हुए देखने की ललक थी। जो पुराने विस भवन ने देखी।
पहली विधानसभा (2000-2003) परंपराओं और कार्यप्रणाली की नींव रखी गई। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, कई केंद्रीय मंत्रियों और अनेक राज्यों के विधायकों का आगमन हुआ। राज्य गठन के तुरंत बाद रायपुर के पुराना सचिवालय परिसर में अस्थायी रूप से विधानसभा संचालित हुई। वर्ष 2001 में मौजूदा भवन में विधानसभा की शुरुआत हुई। यहीं से राज्य की नीति, बजट, कानून और विकास का खाका तैयार हुआ।
14 दिसंबर 2000 को आयोजित पहली विधानसभा से लेकर वर्तमान तक इस भवन ने लोकतंत्र की परिपक्वता का लगातार साक्षात्कार किया। यहां पहली बार नियम बनाए गए, प्रक्रियाएं तय हुईं और सदन ने स्वयं को एक संस्थान के रूप में स्थापित किया। दूसरी विधानसभा (2003-2008) छत्तीसगढ़ी भाषा को राज्य की संस्कृति और पहचान के साथ जोड़ते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सदन में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी और वर्तमान विधानसभा में 19 महिला विधायक हैं। युवा संसद, लोकतांत्रिक प्रशिक्षण, राजकीय सम्मान समारोह, राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन यहां होते रहे।
पहली विधानसभा ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 2001 पारित कर आदिवासी स्वशासन को मजबूत किया। तीसरी विधानसभा में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष विकास पैकेज स्वीकृत हुआ, जिसमें सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र शामिल थे। पांचवीं विधानसभा की गोठान योजना ने 2,000 से अधिक गोठानों का निर्माण कर पशुपालन को बढ़ावा दिया, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आय दोगुनी हुई।
चौथी विधानसभा में स्वामी विवेकानंद स्टाफिंग योजना शुरू की गई, जिसके तहत 1 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां मिलीं। पांचवीं विधानसभा ने नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के माध्यम से जल संरक्षण और स्वास्थ्य सुधार पर जोर दिया। छठी विधानसभा में शिक्षा गुणवत्ता अभियान लॉन्च कर शासकीय विद्यालयों को स्मार्ट बनाया गया। इन प्रयासों से साक्षरता दर 70 से बढ़कर 85 प्रतिशत हो गई।
एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी के सदन में आगमन ने समय-समय पर लोकतांत्रिक गरिमा बढ़ाई।
छत्तीसगढ़ विधानसभा का नया भवन आधुनिकता के साथ पर्यावरण का भी संदेश देगा। यह भविष्य में नई तकनीक, पारदर्शिता और सुशासन का नया अध्याय लिखेगा। पूरे परिसर में डिजिटल बोटिंग सिस्टम. इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड, स्मार्ट ऑडियो सिस्टम और हाई डेफिनिशन मीडिया इंटरफेस जैसी आधुनिक व्यवस्थाएं शामिल हैं। भवन पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित है। वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है।
नया भवन 1 नवंबर 2025 को राज्योत्सव के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। छत्तीसगढ़ विधानसभा भविष्य में नई तकनीक, पारदर्शिता और सुशासन का नया अध्याय लिखेगी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष बनने का मौका दिवंगत राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को मिला था। यह ऐसा समय था, जब न तो विधानसभा के पास कोई छत थी और न ही पर्याप्त संसाधन थे। विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव चन्द्रशेखर गंगराड़े बताते हैं कि विधानसभा सचिवालय की शुरुआत डीकेएस भवन के दो कमरों में अस्थायी रूप से शुरू हुई थी।
विधानसभा का प्रथम सत्र 14 दिसंबर 2000 से राजकुमार कॉलेज के जशपुर हॉल में हुआ था। तब तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल ने पेड़ के नीचे बैठकर काम किया और सचिवालय के अधिकारियों-कर्मचारियों को मार्गदर्शन भी दिया। उनके कार्यकाल में विधानसभा ने कई नए आयाम रचने का काम किया था।
तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा, मेरे कार्यकाल में कोरोना संक्रमण भी रहा है। इसे देखते हुए वर्ष 2020 में ग्लोटीन के तहत बजट पास किया गया था। यानी सभी की सहमति से बिना चर्चा के बजट पारित हुआ था। 2020 कोरोना के विपरीत परिस्थितियों के बीच मैं छत्तीसगढ़ नवीन भवन निर्माण का शिलान्यास किया एवं राज्य सरकार से निर्माण में लगने वाली राशि की उपलब्धता कराई और आज वह नवीन भवन लोकार्पण के बाद स्थापित है।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में दो दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया था। यह सत्र मुख्य रूप से गांधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करने के लिए आहूत किया गया था।
मेरे कार्यकाल की दो-तीन बातें प्रमुख हैं। जो स्मरण में आ रहा है। वर्ष 2005-06 में नक्सल समस्या को सुलझाने के लिए क्लोज डोर मीटिंग हुई थी। जो शायद स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में हुई थी। इस हिंसा में करीब 72 जवान शहीद हुए थे। इसके लिए ही मीटिंग बुलाई गई थी।
जिस पर पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में नक्सल समस्या से निपटने पर चर्चा की थी। इसके अलावा पहली बार किसी विधानसभा में देश के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आए थे। सदस्यों को संबोधित भी किया। राष्ट्रपति से सदस्यों ने प्रश्न भी पूछे थे। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी भी शामिल थे। मेरे कार्यकाल में प्रश्नकाल का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण शुरू हुआ।
मेरे कार्यकाल का सबसे यादगार क्षण वह है, जब मैंने पहली बार इंडिया और एशिया रीजन के स्पीकर की कांन्फ्रेंस कराई। इसमें इंडिया की सभी विधानसभाओं के स्पीकर शामिल हुए साथ ही लंदन, पाकिस्तान, मालदीव, सहित अन्य देशों के स्पीकर भी शामिल हुए। इसके अलावा खाद्यान योजना का कानून पारित हुआ।
जिसे अन्य राज्यों ने भी लागू किया। कौशल उन्नयन कार्यक्रम योजना और आदिवासियों को 32% आरक्षण देने का कानून भी पारित हुआ। मेरे कार्यकाल में पार्लियामेंट की तर्ज पर सेंट्रल हाल का निर्माण हुआ। देश की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को बुलाया। नई परंपरा की शुरुआत की। पहले सदन के नेता की शपथ की फिर नेताप्रतिपक्ष और बाकी सदस्यों को शपथ दिलाई।
एक विशेषता यह भी है कि 90 सदस्यीय विधानसभा सदन में महिला विधायकों की संख्या 19 है। सभा में महिला सदस्यों की संख्या का प्रतिशत 21.11 है जो महिला प्रतिनिधित्व का द्योतक है। षष्ठम विधान सभा के कार्यकाल में रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत सदस्यगणों के निज सचिव एवं निज सहायकगणों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया।
पत्रकारों के लिए व्याख्यानमाला हुई। इसमें देश के प्रख्यात प्रवक्ता सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संजय द्विवेदी ने मार्गदर्शन दिया। इस कार्यकाल में गौरव का एक पृष्ठ और जुड़ गया जब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विधानसभा को संबोधित किया। विस की संसदीय यात्रा का यह केवल एक पड़ाव है। राज्य के विकास के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक धरोहर को संरक्षित रखते हुए उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
Updated on:
18 Nov 2025 08:46 am
Published on:
18 Nov 2025 08:31 am
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