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शहर में 1500 से ज्यादा लिफ्ट, एनओसी सिर्फ 730 के पास

शहर में ऊंची इमारतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम अधिकांश में नहीं हैं। शहर की आधी मल्टी की लिफ्टें बिना वैध एनओसी (सुरक्षा अनुमति) के धड़ल्ले से चल रही हैं

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शहर में 1500 से ज्यादा लिफ्ट, एनओसी सिर्फ 730 के पास, बाकी चल रही धड़ल्ले से, रिकॉर्ड भी नहीं

शहर में 1500 से ज्यादा लिफ्ट, एनओसी सिर्फ 730 के पास, बाकी चल रही धड़ल्ले से, रिकॉर्ड भी नहीं


ग्वालियर. शहर में ऊंची इमारतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम अधिकांश में नहीं हैं। शहर की आधी मल्टी की लिफ्टें बिना वैध एनओसी (सुरक्षा अनुमति) के धड़ल्ले से चल रही हैं। करीब 1500 से ज्यादा लिफ्ट घर, गोदाम व संस्थान में संचालित हो रही हैं, जिनमें से सिर्फ 730 के पास ही वैध एनओसी है, जबकि बाकी लिफ्टें बिना सुरक्षा स्वीकृति के धड़ल्ले से चल रही हैं। खास बात यह है कि 1500 में से 730 को छोडकऱ 770 का निगम के पास कोई रिकॉर्ड भी नहीं है। ऐसे में यह किसी बड़े हादसे को दावत देने जैसी है। चौंकाने वाली बात यह है कि अफसर और चार लिफ्ट कंसल्टेंट््स अंजना राजपूत,मुनीश बघेल, राजेश सक्सेना,संदीप शर्मा हादसे के बाद ही जांच करने पहुंचते हैं, जबकि रोजाना इन लिफ्टों में सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में रहती है।
730 लिफ्ट से क्र3.65 लाख जमा
नगर निगम के रिकॉर्ड में 1 मार्च 2025 से लेकर अब तक 730 लिफ्टों से 500 रुपए प्रति लिफ्ट के हिसाब से 3.65 लाख रुपए शुल्क के रूप में प्राप्त हुए हैं। इन 730 में से केवल 229 लिफ्टों की एनओसी रिन्यू की गई है, जिनसे 1.14 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई है और बाकी की कार्रवाई जारी है।

एनओसी की फीस सिर्फ 500 रुपए प्रति लिफ्ट
राजपत्र के अनुसार प्रत्येक लिफ्ट,एस्केलेटर,मूङ्क्षवग वॉक के लिए 500 रुपए प्रति यूनिट की दर से शुल्क लिया जाता है।
छह महीने की अवधि के बाद आवेदन प्रस्तुत करने पर समुचित कारण सहित पारित आदेश को छह महीने तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।
समुचित अधिकारी द्वारा प्रत्येक इकाई का विशिष्ठ पंजीकरण क्रमांक दिया जाता है।

सुरक्षा से बड़ा लापरवाही का खेल
निगम के पास शहर की लिफ्टों का न तो पूरा रिकॉर्ड है, न नियमित जांच की कोई पारदर्शी व्यवस्था और न उनकी नियमित जांच का रजिस्टर। कई सोसायटी और व्यावसायिक भवनों में पुराने वायङ्क्षरग सिस्टम और खराब ऑटोमैटिक लॉङ्क्षकग के बावजूद लिफ्टें चालू हैं। कंसल्टेंट््स भी गायब रहते हैं और केवल हादसे के बाद रिपोर्ट बनाने पहुंचते हैं।
जेडओ को लिखा पत्र नहीं दी जानकारी
पूर्व में लिफ्ट के नोडल अधिकारी शैलेंद्र सक्सेना सभी जेडओ को पत्र लिख चुके हैं कि वह अपने क्षेत्र में संचालित लिफ्ट की जानकारी दें कि कहां लिफ्ट लगी हुई हैं। लेकिन किसी भी जेडओ ने उन्हें जानकारी नहीं दी है।

शहर में कई लिफ्टें बिना किसी तकनीकी जांच या सुरक्षा सर्टिफिकेट के चल रही हैं। इसकी हम जांच कराएंगे इसके लिए बुधवार को पत्र जारी करुंगा। लिफ्ट को लेकर स्टेट से जल्द ही नियम आने वाले हैं।
मुनीष सिंह सिकरवार अपर आयुक्त नगर निगम

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