
इसरो के सीनियर साइंटिस्ट जयंत जोशी (Photo Patrika)
रायपुर @ ताबीर हुसैन।गगनयान मिशन हमारे भारत देश के लिए फ्लैगशिप मिशन है। यह 1-2 साल के भी भीतर शुरू होने वाला है। अंतरिक्ष में जाने के लिए 3 लोगों का सिलेक्शन हो चुका है। इसके पहले दो रोबोटिक मिशन होंगे। पहले रोबोट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसके बाद 1 या 1.5 साल बाद आकाशयात्री स्पेस की यात्रा करेंगे। कैप्सूल के अंदर रहेंगे बाहर नहीं निकलेंगे और माइक्रोग्रेविटी के अंदर दूसरे प्लैनेट पर जाने के लिए जो एक्सपेरिमेंट जरूरी है वह 7 दिन तक करेंगे। फिर हम उन्हें वापिस बुला लेंगे पृथ्वी पर।
यह बताया इसरो के सीनियर साइंटिस्ट जयंत जोशी ने। वे राजधानी में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षक विज्ञान समेलन में शामिल होने आए हैं। उन्होंने बताया, इसरो स्टूडेंट्स में विज्ञान के प्रति रुचि जगाने के लिए काम कर रहा है। इसरो के अपने मिशन की यात्रा का अनुभव और उसकी सफलता की कहानी को एजुकेशन सिस्टम में मिलाकर बताएंगे कि यह भी मुय विषयों में से एक है।
साइंटिस्ट जोशी ने बताया कि पुरानी तरीके से पढ़ाने के बजाए अब नए तरीके से बच्चों को सिखाया जा रहा है। आज की तारीख में यह बच्चे डेटा एनालिसिस कर या कोई भी आइडिया लेकर कुछ बनाना चाहते हैं तो इन्हें फंडिंग की चिंता करने की जरूरत नहीं है। इनके लिए आगे फंडिंग भी उपलब्ध करवा दी जाएगी और फैसिलिटी की आवश्यकता भी पूरी कर सकते है इनके लिए । सिर्फ इन्हें अपना आइडिया लेकर आना है और इसरो इसे टेस्ट और क्वालीफाई करेगा और वह सफल हुआ फिर उसे आगे और बढ़ा किया जाएगा।
इसरो में सिर्फ इंजीनियर की जरूरत नहीं है। कॉमर्स, साइकोलॉजी, आर्ट्स, यूजिक और खाना बनाने वाले के लिए भी स्कोप है। हम अभी गगनयान मिशन करने जा रहे हैं। जिसमें छोटे केबिन में 7 दिन तक 3 एस्ट्रोनॉट सिर्फ 3 लोग को एक फीट के अंतर से देख पाएंगे और कोई एक्टिविटी नहीं करेंगे। इतने सीमित वातावरण में उनकी साइकोलॉजिकल दशा को सुधारना जरूरी होता है।
Updated on:
07 Nov 2025 03:59 pm
Published on:
07 Nov 2025 03:54 pm
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