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NIT का शोध मॉडल तैयार! शेक टेबल टेस्टिंग से पता चलेगा किस मंजिल पर भूकंप का कितना झटका, उपयोगी साबित हो सकती है तकनीक…

Raipur NIT: एनआईटी ने शेक टेबल तकनीक डेवलप की है। यह वैसा उपकरण है जो बिल्डिंग के छोटे मॉडल को भूकंप की तरह हिलाकर इसकी मजबूती जांचता है।

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NIT का शोध मॉडल तैयार! शेक टेबल टेस्टिंग से पता चलेगा किस मंजिल पर भूकंप का कितना झटका(photo-patrika

NIT का शोध मॉडल तैयार! शेक टेबल टेस्टिंग से पता चलेगा किस मंजिल पर भूकंप का कितना झटका(photo-patrika

Raipur NIT: ताबीर हुसैन. रायपुर एनआईटी ने शेक टेबल तकनीक डेवलप की है। यह वैसा उपकरण है जो बिल्डिंग के छोटे मॉडल को भूकंप की तरह हिलाकर इसकी मजबूती जांचता है। एनआईटी रायपुर के एसोसिएट प्रोफेसर गोवर्धन भट्ट बताते हैं, हम 10 मंजिला इमारत का स्केल्ड मॉडल बनाते हैं, अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर हिलाकर उसके एक्सेलरेशन को मापते हैं और उसी आधार पर डिजाइन तैयार करते हैं।

उनकी पीएचडी स्टूडेंट्स मल्टीपल अर्थक्वेक पर काम कर रही हैं। यानी लगातार दो भूकंप में बिल्डिंग कैसे टूटती है, जैसे टर्की में हुआ था।यह तकनीक छत्तीसगढ़ के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। भट्ट ने अपनी पीएचडी में बेस आइसोलेशन तकनीक डेवलप की। यह वही टेक्निक है जो भूकंप के समय बिल्डिंग को ‘झटके से कट’ कर देती है। बिहार में बनी एक पुलिस बिल्डिंग इसी तकनीक से खड़ी की गई थी। इससे बिल्डिंग की पूरी सुरक्षा कई स्तर तक बढ़ जाती है।

Raipur NIT: खर्च 5- 10 प्रतिशत बढ़ता है, सुरक्षा कई गुना

सामान्य बिल्डिंग के मुकाबले सिस्मिक डिजाइन जोडऩे से सिर्फ 5-10 प्रतिशत खर्च बढ़ता है। अगर एक लाख की बिल्डिंग है तो बस एक लाख दस हजार पर आती है। पर सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। दिल्ली जैसे बड़े खतरे वाले क्षेत्रों में यही लागत 20प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

नए भूकंप मानचित्र में पूरा हिमालयी आर्क अब सबसे खतरनाक जोन-6 में डाल दिया गया है। अभी छत्तीसगढ़ को जोन-2 माना गया है, इसलिए यहां घर और बिल्डिंग का डिजाइन दो मुख्य लोड-डेड लोड (बिल्डिंग का वेट) और लाइव लोड (लोगों और सामान की मूवमेंट) पर आधारित होता है। लेकिन नया मानचित्र बताता है कि भविष्य में लैटरल लोड, खासकर अर्थक्वेक लोड, को ज्यादा गंभीरता से लेना होगा।

भट्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में विंड लोड भले कम है, लेकिन माइनिंग-इंड्यूस्ड अर्थक्वेक अब एक बड़ा खतरा बन रहा है। उन्होंने बताया कि बिलासपुर और अमरकंटक बेल्ट में 4-5 तीव्रता के छोटे झटके पहले से दर्ज हो रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए हैं।


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