
Monkey Funeral: मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां एक बंदर की मौत पर अंतिम संस्कार के बाद मृत्यु भोज यानी तेरहवीं का आयोजन भी किया गया। जिसमें ग्रामीणों ने मिलकर एक लाख रुपए एकत्रित किए और चार हजार लोगों ने भोजन किया।
पूरा मामला दरावरी गांव का है। यहां पर सात नंवबर को हाइटेंशन लाइन की चपेट में आने से बंदर की मौत हो गई थी। इसके बाद आठ नंवबर को बैंड बाजे के साथ मृत्यु भोज का आयोजन किया गया। मंगलवार को गांव में करीब 35 किलोमीटर दूर तक के गांवों के लोग शामिल हुए। बंदर की मृत्यु से दुखी ग्रामीणों ने चंदा कर इस भोज का आयोजन किया।
बंदर का अंतिम संस्कार भी डीजे की धुन के साथ अंतिम यात्रा निकालकर किया गया था। गांव के हरिसिंह दिलावरी ने बताया कि 7 नवंबर को बंदर की मौत हो गई थी। बंदर सुबह जंगल की ओर से गांव में आ गया था। वह उछल-कूद कर रहा था। तभी वह गांव के बाहर से निकल रही हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया और घायल होकर नीचे गिर पड़ा गांव वालों ने उसे भोजन पानी दिया, लेकिन कुछ देर बाद उसने दम तोड़ दिया था। 8 नवंबर को पूरा गांव मंदिर के पास जमा हुआ और बंदर के लिए डोल बनाकर अर्थी सजाई गई थी। इसके बाद मुक्तिधाम पर विधि-विधान से बंदर का अंतिम संस्कार किया गया था।
सोमवार को 11वें दिन गांव के पटेल बीरमसिंह सौंधिया खुद पांच पंचों के साथ अस्थियां लेकर उज्जैन गए और पंडित द्वारा विधि-विधान से बंदर की अस्थियों को शिप्रा नदी में विसर्जित किया। पटेल ने बंदर के लिए अपनी दाढ़ी भी बनवाकर परिवार के सदस्य की तरह 11वें का कार्यक्रम कराया।
ग्रामीणों का मानना है कि बंदर हनुमानजी का ही रूप हैं। उन्हें इंसान का ही स्वरूप मानकर यह पूरी प्रक्रिया की गई। इसके बाद ग्रामीणों में चंदा कर मृत्यु भोज कराया। आयोजन के लिए ग्रामीणों ने हलवाई को बुलवाया। जहां गांव के बाहर बने एक मंदिर के पास खुले मैदान में पांच क्विंटल आटे की पूड़ी, 40 किलो नमकीन, 100 लीटर छाछ से कड़ी, 180 लीटर तेल, 1 क्विंटल शक्कर से नुक्ती (बूंदी) सहित भोजन बनवाया।
Published on:
20 Nov 2025 02:58 pm
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