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CG SIR Process: SIR सर्वे में तकनीकी अड़चनें, 2003 के रिकॉर्ड गायब, बहुओं के नाम जोड़ने की प्रक्रिया अटकी!

CG SIR Process: SIR सर्वे का कार्य जारी है। इस बीच कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर 2003 के रिकॉर्ड उपलब्ध न होने से नए नाम नहीं जुड़ पा रहे हैं..

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CG SIR news

SIR सर्वे में तकनीकी अड़चनें, 2003 के रिकॉर्ड गायब ( File Photo Patrika )

CG SIR Process: वर्तमान में चल रहा मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य तकनीकी चुनौतियों से घिर गया है। सर्वे ऐप और संबंधित पोर्टल पर 2003 के रिकॉर्ड उपलब्ध न होने से कई परिवारों को नए मतदाताओं के नाम जोडऩे में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ( CG News ) खासकर ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और गंभीर दिखाई दे रही है।

CG SIR Process: बहुओं व नए मतदाताओं के नाम जोड़ने में अड़चन

सर्वे में लगे कर्मचारियों का कहना है कि लिंक बार-बार फेल होने की वजह से दूसरे राज्यों की वोटर लिस्ट भी नहीं खुल पा रही, जिससे विवाह के बाद नई जगह आई महिलाओं, विशेषकर बहुओं के नाम जोडऩे की प्रक्रिया अधर में अटक रही है। कई मामलों में आधार या पुराने वोटर आईडी से मिलान तक नहीं हो पा रहा है।

फॉर्म भरने में भी दिक्कत

पिछली बार 2003 के पुनरीक्षण में शामिल पुराने और नए मतदाताओं को अलग-अलग ढंग से फार्म भरना पड़ रहा है। 2003 के पुनरीक्षण में शामिल नहीं हुए मतदाताओं को अपने माता-पिता का रिकार्ड देना पड़ रहा है। इसके लिए महिलाओं को अपने मायके से 2003 की मतदाता सूची उपलब्ध करानी पड़ रही। ऐसे में दिगर प्रांत से आई महिलाओं को सूची मंगवाने या फिर ऑनलाइन निकालने में मशक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नए और पुराने की अलग-अलग जानकारी होने के कारण फार्म भरते समय त्रुटियां भी बहुत हो रही है।

डाटा मिलान में आ रही परेशानी

स्थानीय स्तर पर शिकायतें बढऩे लगी हैं कि 2003 के बाद किए गए निर्वाचन संबंधी अपडेट सिस्टम में परिलक्षित नहीं हो रहे। रिकॉर्ड न मिलने के कारण न तो परिवार विवरण पूरा हो पा रहा है और न ही नए आवेदनों की पुष्टि। सर्वे टीमें बार-बार प्रयास के बाद भी डाटा मिलान नहीं कर पा रहीं, इससे समय भी अधिक लग रहा है। बता दें कि मतदाता पुनरीक्षण की अंतिम तिथि 4 दिसंबर तय की गई है।

गड़बड़ियों को उच्च स्तर पर भेजा जा रहा

प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि सर्वे कार्य के दौरान सामने आई तकनीकी गड़बडिय़ों को उच्च स्तर पर भेजा जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने भी सर्वे ऐप और बैकएंड सिस्टम के परीक्षण को प्राथमिकता पर रखा है ताकि मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से पहले सभी रिकॉर्ड दुरुस्त किए जा सकें।