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Paddy Smuggling: खरीदी से पहले ही बॉर्डर में धान की तस्करी, 90 क्विंटल के साथ वाहन जब्त

Paddy Smuggling: धान अवैध रूप से मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ लाया जा रहा था। वाहन चालक के पास धान से संबंधित कोई वैध दस्तावेज नहीं मिले, जिसके बाद इसे मंडी अधिनियम के तहत जब्त कर लिया गया।

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Paddy Smuggling: खरीदी से पहले ही बॉर्डर में धान की तस्करी, 90 क्विंटल के साथ वाहन जब्त

बॉर्डर में धान की तस्करी (Photo Patrika)

Paddy Smuggling: प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत 15 नवम्बर से होने वाली है, लेकिन उससे पहले ही धान तस्कर सक्रिय हो गए हैं। अवैध रूप से दूसरे राज्यों से धान छत्तीसगढ़ लाकर उसे तस्करी के जरिए डंप करने का सिलसिला 15 दिन पहले से चल रहा है। शनिवार रात को साल्हेवारा बॉर्डर पर एक बड़ी कार्रवाई में 90 क्विंटल धान से भरा मालवाहक वाहन पकड़ा गया। यह धान अवैध रूप से मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ लाया जा रहा था। वाहन चालक के पास धान से संबंधित कोई वैध दस्तावेज नहीं मिले, जिसके बाद इसे मंडी अधिनियम के तहत जब्त कर लिया गया।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली साल्हेवारा सीमा पर पिछले पंद्रह दिनों से धान तस्करी का खेल चल रहा है। तस्कर वाहन में भारी मात्रा में धान भरकर इसे सीमा पार से छत्तीसगढ़ लाकर स्थानीय किसानों के पास डंप कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, तस्कर छत्तीसगढ़ के कुछ सीमावर्ती गांवों में धान को डंप कर देते हैं, ताकि खरीदी शुरू होने पर इसे किसानों की आड़ में सोसाइटी में खपाया जा सके। इससे उन्हें अच्छी कमाई का मौका मिलता है।

प्रदेश सरकार ने 15 नवम्बर से धान खरीदने के लिए सोसाइटी के माध्यम से प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। लेकिन इस बीच तस्करों ने इसकी आड़ में तस्करी का नया तरीका निकाल लिया है। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के कई गांवों में धान की बोआई और कटाई समय से पहले हो जाती है, लेकिन वहां पर धान को सही कीमत नहीं मिलती। इसलिए तस्कर मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में लाकर इसे किसानों की आड़ में बेचने की कोशिश करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समर्थन मूल्य के अलावा प्रति क्विंटल अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है, जिससे तस्करों को अधिक लाभ मिलता है।

निगरानी और कार्रवाई में तेजी

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष सोसाइटी के माध्यम से धान खरीदने का निर्णय लिया है, और खरीदी के दौरान निगरानी के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई जाती है। हालांकि, राज्य के अंतिम छोर पर बसे वनांचल गांवों में तस्करी का यह खेल लगातार जारी है। ऐसे में राज्य सरकार और प्रशासन को इस समस्या से निपटने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने होंगे, ताकि किसानों के हक की धान को तस्करों के हाथों में जाने से रोका जा सके।

मंडी विभाग की कार्रवाई

शनिवार रात को इस तस्करी का खुलासा हुआ, जब खैरागढ़-गंडई-छुईखदान जिले के साल्हेवारा बॉर्डर पर एक मालवाहक वाहन पकड़ा गया। इस वाहन में 90 क्विंटल धान भरा हुआ था, जिसकी कीमत लगभग 2 लाख 25 हजार रुपये बताई जा रही है। वाहन क्रमांक सीजी 08 ए 07184 को खादी चेक पोस्ट पर जांच के दौरान जब्त कर लिया गया। मंडी विभाग के उप निरीक्षक प्रताप साहू ने बताया कि वाहन चालक के पास धान परिवहन से संबंधित कोई वैध कागजात नहीं मिले, जिसके बाद इसे मंडी अधिनियम के तहत जब्त कर लिया गया।

रात के अंधेरे में तस्करी हो रही

तस्करी का यह कारोबार रात के अंधेरे में किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि तस्कर रात को धान का परिवहन करते हैं और इसे छत्तीसगढ़ के भीतरी गांवों में डंप कर देते हैं। इस तरह से सोसाइटी में इसे खपाना आसान हो जाता है। हर साल इस प्रकार की तस्करी का खेल चलता है, जो अब पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।

मध्यप्रदेश में उपज को इतनी कीमत नहीं

मध्यप्रदेश के कई गांवों में धान की बोआई और कटाई समय से पहले की जाती है, लेकिन वहां पर सोसाइटी में धान की सही कीमत नहीं मिलती, जिसके कारण किसान अपने उत्पाद को छत्तीसगढ़ में लाकर बेचने की कोशिश करते हैं। छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा तय किया गया समर्थन मूल्य और अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि किसानों के लिए आकर्षक होती है। यही कारण है कि तस्कर इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, ताकि अधिक लाभ कमा सकें।