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डोंगरगढ़ में 55 करोड़ से तैयार हो रहा साढ़े 8 किमी लंबा परिक्रमा पथ, जमीन खरीद-बिक्री पर रोक, यात्रियों के लिए सुरक्षित मार्ग तैयार

CG News: 8.5 किलोमीटर लंबा यह मार्ग मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर, चंद्रगिरी जैन तीर्थ और प्रज्ञागिरी बौद्ध स्थल तक जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सुविधा साबित होगा।

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डोंगरगढ़ में 55 करोड़ से तैयार हो रहा साढ़े 8 किमी लंबा परिक्रमा पथ, जमीन खरीद-बिक्री पर रोक, यात्रियों के लिए सुरक्षित मार्ग तैयार(photo-patrika)

डोंगरगढ़ में 55 करोड़ से तैयार हो रहा साढ़े 8 किमी लंबा परिक्रमा पथ, जमीन खरीद-बिक्री पर रोक, यात्रियों के लिए सुरक्षित मार्ग तैयार(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोंगरगढ़ में प्रस्तावित 55 करोड़ रुपए की फोरलेन परिक्रमा पथ परियोजना ने गति पकड़ ली है। 8.5 किलोमीटर लंबा यह मार्ग मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर, चंद्रगिरी जैन तीर्थ और प्रज्ञागिरी बौद्ध स्थल तक जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सुविधा साबित होगा। नई सडक़ से न केवल धार्मिक स्थलों तक पहुंच आसान होगी, बल्कि क्षेत्रीय परिवहन भी सुगम बनेगा।

CG News: 55 करोड़ की धार्मिक परियोजना

परियोजना के तहत गाजमर्रा, राजकट्टा, कुर्रूभांठ और छिरपानी गांवों की जमीनों पर खरीदी-बिक्री, नामांतरण और बंटवारे पर कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। उद्देश्य है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजा प्रक्रिया पारदर्शी रहे और किसानों को पूरा लाभ मिले।

हाल के दिनों में इन गांवों में जमीन की खरीद-बिक्री तेजी से बढ़ गई थी, जो अधिग्रहण और मुआवजा निर्धारण को प्रभावित कर सकती थी। परिक्रमा पथ मुरमुंदा और तुमड़ीबोड होते हुए सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ेगा, जिससे यात्रा समय कम होगा और सडक़ हादसों में कमी आने की उम्मीद है। बेहतर परिवहन से व्यापार और उद्योग को गति मिलेगी, जबकि किसान अपनी फसल आसानी से मंडियों तक पहुंचा सकेंगे।

आचार्य विद्यासागर का समाधि स्थल

डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ जैन समाज के अनुयायियों के लिए खास स्थल है। देशभर के अनुयायी यहां पर दिवंगत आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधि स्थल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। परिक्रमा पथ की कनेक्टिविटी यहां भी होगी। इससे धार्मिक आस्था के इस केन्द्र में श्रद्धालुओं की आवाजाही बढ़ जाएगी।

धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई दिशा

फोरलेन बनने से मंदिरों तक सुरक्षित और तेज पहुंच मिलेगी। स्थानीय लोगों और किसानों के लिए भी परियोजना लाभ लेकर आएगी। निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। भूमि अधिग्रहण और मुआवजा पूर्ण होते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी।