
Devsthan Dharmshala
चारभुजा (राजसमंद). गढ़बोर धाम चारभुजा में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बस स्टैंड परिसर में बनाई गई देवस्थान विभाग की धर्मशाला एक करोड़ रुपए की लागत से मरम्मत व नवीनीकरण के बाद भी चार साल से उपयोग में नहीं ली जा रही है। विभागीय लापरवाही और उदासीनता के चलते यह धर्मशाला अब फिर से खंडहर में तब्दील होने की कगार पर पहुंच गई है।
पूर्व महाराणा उदयपुर द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनवाई गई यह धर्मशाला चारभुजा के बस स्टैंड के पास स्थित है। समय के साथ इसकी दीवारें जर्जर और छतें टपकने लगी थीं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में मंदिर विस्तार योजना के तहत धर्मशाला के जीर्णोद्धार के लिए एक करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए। इस राशि से मरम्मत कार्य चार वर्ष पहले पूरा कर लिया गया। धर्मशाला में 50 से अधिक कमरे, पार्किंग स्थल, शौचालय और एक ट्यूबवेल सुविधा तक बनाई गई थी।लेकिन नवीनीकरण के बाद भी धर्मशाला के मुख्य द्वार पर आज तक ताले लटके हुए हैं।
चार साल से बंद पड़ी इस धर्मशाला में अब चोरी और मनमानी का आलम है। स्थानीय लोगों के अनुसार, छह माह पहले धर्मशाला के सभी कमरों से पंखे उखाड़कर चोर ले गए, लेकिन विभाग की ओर से न तो कोई रिपोर्ट दर्ज करवाई गई और न ही जांच हुई। इतना ही नहीं, पास ही लगे ट्यूबवेल के तार और केबल भी खोलकर ले जाए गए। फिर भी देवस्थान विभाग के अधिकारी बेखबर बने हुए हैं।
धर्मशाला के पास ही लंबा-चौड़ा पार्किंग स्थल भी बनाया गया है, जिसमें महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय बने हैं। लेकिन इन पर भी ताले जड़े हुए हैं। देवस्थान विभाग द्वारा चारभुजा में दो पार्किंग स्थल बनाए गए हैं, लेकिन इनका उपयोग तक नहीं हो रहा। नतीजतन, श्रद्धालु अपने वाहनों को सड़क किनारे ही खड़ा कर देते हैं, जिससे आए दिन जाम की स्थिति बन जाती है।
धर्मशाला और पार्किंग स्थलों के संचालन को लेकर देवस्थान विभाग की ओर से टेंडर प्रक्रिया दो माह पहले पूर्ण की जा चुकी है। चारभुजा निवासी ललित कुमार पुत्र गणेशलाल सेवक के नाम से यह टेंडर खुला था। लेकिन विभाग ने अभी तक हैंडओवर के कागजात उपलब्ध नहीं करवाए। ललित कुमार ने बताया कि जब तक हैंडओवर की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती और आवश्यक दस्तावेज नहीं मिलते, तब तक धर्मशाला और पार्किंग स्थल का संचालन शुरू नहीं हो सकता।
देवस्थान विभाग, उदयपुर के उपायुक्त जतिन गांधी ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जयपुर से टेंडर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने के बाद नियमानुसार धर्मशालाएं ठेकेदार को हैंडओवर की जाएंगी। हालांकि यह प्रक्रिया दो माह पहले पूरी हो चुकी है, फिर भी अब तक धर्मशाला श्रद्धालुओं के उपयोग में नहीं आई, जिससे स्थानीय स्तर पर विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय श्रद्धालुओं और व्यापारियों का कहना है कि धर्मशाला के उपयोग में देरी से चारभुजा आने वाले यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। कई श्रद्धालु खुले में रुकने को मजबूर हैं, जबकि करोड़ों की लागत से बनी धर्मशाला ताले में बंद धूल खा रही है। लोगों का कहना है कि यदि विभाग ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो धर्मशाला की दीवारें और फर्नीचर फिर से जर्जर होकर बर्बाद हो जाएंगे, जिससे सरकारी धन पूरी तरह व्यर्थ चला जाएगा।
Published on:
04 Nov 2025 11:33 am
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