Significance of Karwa Chauth fast|फोटो सोर्स – Freepik
Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है। करवा चौथ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है।इस व्रत की जड़ें प्राचीन पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई हैं, जहां साहस, त्याग और प्रेम की कहानियां इसे विशेष बनाती हैं। आइए जानते हैं इस व्रत के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में विस्तार से।
हर साल जब कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि आती है, तो देशभर की सुहागिन महिलाओं के चेहरे पर एक विशेष चमक देखने को मिलती है। सजना-संवरना, निर्जला व्रत रखना और रात को चाद को अर्घ्य देकर पति की लंबी उम्र की कामना करना यह सब कुछ करवा चौथ की परंपरा का हिस्सा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह व्रत आखिर शुरू कहां से हुआ था? क्यों सदियों से यह दिन भारतीय संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण बना हुआ है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ व्रत की शुरुआत स्वयं देवी पार्वती ने की थी। जब उन्होंने भगवान शिव को अपना पति स्वीकार किया, तो उन्होंने उनके दीर्घायु और सौभाग्य के लिए यह व्रत रखा। पार्वती जी की आस्था और तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया। यही प्रेरणा बनी लाखों महिलाओं के लिए, जो अपने जीवनसाथी की सलामती के लिए आज भी पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखती हैं।
एक अन्य कथा में वर्णित है कि एक बार देवता और असुरों के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया। देवता अपनी पूरी शक्ति झोंकने के बावजूद पराजय के कगार पर पहुंच गए। तब ब्रह्मा जी ने देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का व्रत करने की सलाह दी। देवियों ने पूरे मन से उपवास रखा और भगवान से अपने पतियों की रक्षा की प्रार्थना की। इस संकल्प का ऐसा असर हुआ कि देवताओं को युद्ध में विजय प्राप्त हुई। यह कथा यह संकेत देती है कि नारी की आस्था और प्रार्थना में कितनी शक्ति होती है।
इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगी। इस दिन चंद्रोदय रात 7:42 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:16 बजे से 6:29 बजे तक रहेगा। इस समय में महिलाएं करवे, दीपक, छलनी और पूजन सामग्री के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूर्ण करेंगी।
Published on:
03 Oct 2025 12:04 pm
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