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10 वीं पास ड्राइवर ने लिखी नकली पुलिस गैंग की स्क्रिप्ट, एमफार्मा के छात्र को बनाया दरोगा

नकली पुलिस गैंग सुना रही हैरान करने वाली कहानी सागर/ग्वालियर. काली कमाई के लिए नकली पुलिस बनी फरेबियों की टोली हैरान करने वाली कहानी सुना रही है। गैंग का सरगना शिवम चतुर्वेदी बता रहा है कि पूरा गेम केस पार्टनर रविंद्र यादव के दिमाग की उपज है। उसने ही नकली पुलिस बनकर काली कमाई का […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

Oct 04, 2025

नकली पुलिस गैंग सुना रही हैरान करने वाली कहानी

सागर/ग्वालियर. काली कमाई के लिए नकली पुलिस बनी फरेबियों की टोली हैरान करने वाली कहानी सुना रही है। गैंग का सरगना शिवम चतुर्वेदी बता रहा है कि पूरा गेम केस पार्टनर रविंद्र यादव के दिमाग की उपज है। उसने ही नकली पुलिस बनकर काली कमाई का खाका खींचा था।

रविंद्र पेशे से ड्राइवर और पुराना दोस्त है। उसे हाइवे पर पुलिस और आरटीओ की कमाई का खेल पता था तो जल्दी पैसा कमाने का उसने प्लान बनाया कि नकली पुलिस की टीम बनाकर रात में हाइवे से निकलने वाले वाहनों से पैसा वसूलना सबसे आसान काम है। क्योंकि हाइवे पर रात को निगरानी नहीं होती। रविंद्र ने टीम को बताया था आरटीओ तो हाइवे पर गाड़ी लगाकर खड़े होते हैं उनकी टीम लोडिंग वाहनों को टार्च दिखाती है उसके बाद मोटा पैसा मिलता है। कुछ घंटे में ही इतना पैसा मिल जाएगा, जिसे कमाने में बरसों लगेंगे। ठगी के सारे पैंतरे उगलवाने के लिए पुलिस ने आरोपियों को तीन दिन के रिमांड पर लिया है।

दो महीने से कर रहे थे रास्तों की रैकी

पुलिस का कहना है नकली टीआई बनकर ठगी का खेल जमा रहा शिवम (24) पुत्र पुरुषोत्तम चतुर्वेदी निवासी छुल्ला गढ़ाकोटा (सागर) दो महीने से ग्वालियर में डेरा जमाए था। यहां मेट्रो टॉवर के फ्लैट नंबर 113 में रहकर उन हाइवे की रैकी करता था, जहां रात को पुलिस का मूवमेंट कम रहता है। दो दिन पहले रविंद्र यादव, पवन यादव और नीरज यादव भी ग्वालियर आ गए थे। इन लोगों ने भिंड रोड को वसूली के लिए चुना था।

शिवम पढ़ा लिख तो बनाया दरोगा

शिवम और उसके साथी खुलासा कर रहे हैं मास्टरमाइंड रविंद्र यादव 10वीं पास है। लोडिंग वाहन का ड्राइवर होने की वजह से उसे प्रदेश के सभी हाइवे की जानकारी है। उसने वसूली के पैंतरे तो गिरोह को सिखा दिए थे। लेकिन उसे खुटका था कि अगर वसूली के वक्त असली पुलिस या आरटीओ की टीम आ गई तो वह उनसे बात नहीं कर पाएगा। शिवम एम फार्मा का छात्र है। उसे दवा की दुकान खोलने के लिए पैसा भी चाहिए था। शिवम पढ़ा लिखा है इसलिए टीम ने उसे दरोगा की वर्दी पहनाई। बाकी तीनों साथी सिपाही बन गए।

फ्लैट मालिक व पड़ोसी भी समझते थे दरोगा

क्राइम ब्रांच निरीक्षक धर्मेंद्र कुशवाह ने बताया कि शिवम ने मेट्रो टॉवर में फ्लैट भी निरीक्षक बनकर किराए पर लिया था। इसलिए फ्लैट का मालिक और पड़ोसी भी उसे टीआई मानते थे। शिवम ने खुद को एसपी दफ्तर में पदस्थ होना बताया था। शिवम और उसकी टोली ने कितने हाइवे पर वसूली का खेल खेला है। इसका पता लगाया जा रहा है।