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नकली सोयाबीन बीज वितरण पर बीज कंपनियों पर हो कार्रवाई

भारतीय किसान संघ ने विरोध प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन सागर. अमानक सोयाबीन बीज मामले में प्रशासनिक लापरवाही को लेकर भारतीय किसान संघ ने सोमवार को केसली तहसील कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों ने दोषी बीज कंपनियों व एफपीओ संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में बताया गया कि अन्नदाता बीज […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

Sep 16, 2025

भारतीय किसान संघ ने विरोध प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन

भारतीय किसान संघ ने विरोध प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन

भारतीय किसान संघ ने विरोध प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन

सागर. अमानक सोयाबीन बीज मामले में प्रशासनिक लापरवाही को लेकर भारतीय किसान संघ ने सोमवार को केसली तहसील कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों ने दोषी बीज कंपनियों व एफपीओ संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में बताया गया कि अन्नदाता बीज समिति हिनोतिया और स्वास्तिक बीज समिति खुरई तेवरी द्वारा केसली क्षेत्र के किसानों को सोयाबीन का अमानक बीज उपलब्ध कराया गया। किसानों की लगातार शिकायतों के बाद कलेक्टर ने बीज के नमूने जांच के लिए लैब भेजे जहां रिपोर्ट में बीज को अमानक पाया गया। इसके बाद कलेक्टर ने दोनों बीज कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। किसान संघ ने आरोप लगाया कि अन्नदाता बीज कंपनी ने एफपीओ केसली के संचालकों से मिलकर पहले 2.50 लाख रुपए का समझौता किया, जिसे एफपीओ ने 29 जुलाई 2025 को कैंसिल कर दिया। बाद में कंपनी और एफपीओ के बीच 5 लाख रुपए में नया समझौता किया गया। इस राशि को किसानों तक पहुंचाने के बजाय मनमानी की गई।

कुछ किसानों को केवल एक हजार रुपए दिए गए तो किसी को कुछ भी नहीं मिला। वहीं जो किसान ज्यादा विरोध कर रहे थे उन्हें 10 से 20 हजार रुपए तक देकर मामला शांत कराने की कोशिश की गई। किसान संघ का आरोप है कि एफपीओ ने किसानों की रकम अपने खाते में डालकर व्यक्तिगत लाभ कमाया जो गंभीर अपराध है। भारतीय किसान संघ का कहना है कि अमानक बीज की वजह से हर किसान को कम से कम 20 से 25 हजार रुपए तक का नुकसान हुआ है। बावजूद इसके दोषियों पर कार्रवाई नहीं होना प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। किसान संघ ने प्रशासन से मांग की है कि केवलारी केसली एफपीओ की मान्यता रद्द की जाए। दोनों बीज कंपनियों और एफपीओ संचालकों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएं। प्रभावित किसानों को हुए नुकसान की भरपाई सुनिश्चित की जाए। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो किसान बड़े आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।