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मां की सुंदर मूरत और नौ रूपों का श्रृंगार में जुटे कलाकार, मूर्तियों को दिया जा रहा अंतिम स्वरूप

नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। नवरात्रि के उत्साह और रंग अभी से बाजार में दिखाई देने लगे हैं। शहर के पंडालों में विराजमान होने वालीं मां दुर्गा की प्रतिमाओं को कलाकार अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मां की मूरत को सुंदर आकार और नौ रूपों में ढाला गया है।

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सागर

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Reshu Jain

Sep 19, 2025

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22 सितंबर से शुरू हुए रहे नवरात्रि पर्व की तैयारी शुरू

सागर. नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। नवरात्रि के उत्साह और रंग अभी से बाजार में दिखाई देने लगे हैं। शहर के पंडालों में विराजमान होने वालीं मां दुर्गा की प्रतिमाओं को कलाकार अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मां की मूरत को सुंदर आकार और नौ रूपों में ढाला गया है। शहर में स्थापित होने वालीं प्रतिमाओं को भी हर साल की तरह इस बार भी विशेष रूप दिया जा रहा है। काली बाडियों की प्रतिमाओं और पंडालों को बंगाली कलाकार तैयार कर रहे हैं। इन प्रतिमाओं को श्रंगार करके अंतिम रूप दिया रहा है।स्थानिय मूर्ति बनाने वाले कलाकारों ने बताया कि यहां से प्रतिमाएं छिंदवाड़ा, जबलपुर, अशोक नगर और मालथौन आदि स्थानों पर जा रही हैं। प्रतिमा पर बारिकी से किए गए काम को लोग पसंद करते हैं। शहर के अलावा विभिन्न स्थानों पर जाने वाली प्रतिमाएं पहले से ही बुक करा ली जाती हैं। नितेश विश्वकर्मा व अंकित विश्वकर्मा ने बताया कि सबसे बड़ी प्रतिमाएं 8 से 9 फीट की हैं। माता की साड़ी को भी मिट्टी से बनाया गया। मिट्टी के ही आभूषण पहनाएं गए हैं। जिनमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है। विभिन्न रूपों में माता की प्रतिमाएं बनकर तैयार हैं। एक ही प्रतिमा पर मां के स्वरूप भी दिखाए हैं।

कोलकाता से आया शृंगार का सामान

मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाले कलाकार मां के शृंगार का सामान कोलकाता से बुलाते हैं। यही नहीं मां के स्वरूप को उभारने वाले कलर भी कोलकाता से आते हैं। कलाकार ने बताया कि बंगाली समाज के पंडालों में स्थापित होने वालीं प्रतिमाएं दस भुजा धारी होती हंै। इनके साथ भगवान गणेश, कार्तिकेय और मां सरस्वती की प्रतिमा का होना अनिवार्य होता है।