
पत्रिका की पहल पर रविशंकर स्कूल की 952 छात्राओं ने बनाई मानव श्रृंखला
सागर . हम सब एक ही पुकार, डॉ. हरिसिंह गौर को मिले भारत रत्न..., शिक्षा के शिल्पकार डॉ. गौर..., डॉ. गौर का मान बढ़ाओ भारत रत्न दिलाओ..., जन-जन की मांग भारत रत्न का हो सम्मान..., ये नारे सोमवार को पंडित रविशंकर शुक्ल ईएफए शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गूंज रहे थे।
मौका था पत्रिका की पहल पर आजादी के पहले 1946 में अपने जीवन का सर्वस्व अर्पण कर मध्यप्रदेश के पहले विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने वाले डॉ. गौर को भारत रत्न दिलाने की मांग का। इसको लेकर मानव श्रृंखला कार्यक्रम किया गया। करीब 2 घंटे की मेहनत से छात्राओं ने मानव श्रृंखला मनाई। मानव श्रृंखला बनाकर डॉ. गौर को भारत रत्न की मिलने की मांग की। स्कूल की 952 छात्राओं ने मिलकर मानव श्रृंखला का निर्माण किया।
इस मौके पर स्कूल के प्राचार्य डॉ. महेंद्र प्रताप तिवारी ने पत्रिका की पहल को सराहनीय कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रांगण में मौजूद विद्यार्थी और शिक्षकों की यही इच्छा है कि डॉ. हरि सिंह गौर के लिए भारत रत्न सम्मान दिया जाए। यह इच्छा पूरे देश की है। उन्होंने कहा कि मेरा सभी से आह्वान है कि गौर जयंती तक सभी अपने सोशल मीडिया के एकाउंट में डॉ. हरिसिंह गौर की फोटो लगाए। पिछले वर्ष मेरे बेटे ने इस अभियान की शुरू किया था।
मानव श्रृंखला प्रभारी रिंकी राठौर व डॉ. नाहिद इन परवीन ने कहा कि डॉ. गौर ने महिलाओं को वकालत का अधिकार दिलाया। 1922 में पहली बार प्रस्ताव लाए। 1923 से बिल लागू हुआ। डॉ. गौर ने ही संपत्ति हस्तांतरण, भारतीय दंड संहिता, हिंदू विधि पर किताबें लिखीं। बेटियों के विवाह की उम्र बढ़वाने दो बार प्रस्ताव लाए। इसी के बाद 1925 में विवाह की उम्र 12 से बढक़र 13 साल की गई। सिविल मैरिज एक्ट 1923, विवाह के पुन: स्थापन को न मानने के उल्लंघन में महिलाओं को कारावास समाप्त कराया। 1923 में अंतरजातीय विवाह की स्वतंत्रता के लिए अधिनियम के प्रावधान कराए और मान्यता दिलाई। ऐसे ऐतिहासिक कार्य करने वाले डॉ. गौर के लिए भारत रत्न अवश्य मिलना चाहिए।
कार्यक्रम में शिक्षिका रोहिणी अहिरवार, शिवानी कोरी, भूमि कोरी, गुडिय़ा पटेल, अशोक पटेल, शोभना ढिमोले , मालिनी जैन, रंजीता जैन, प्रीति तिवारी, पूजा खरे, मधुलिका जैन, रितु कटारे, अर्चना कुशवाहा, जितेंद्र रजक, नीरज पुरी गोस्वामी, ओपी श्रीवास्तव व कीर्ति पचौरी आदि का सहयोग रहा। इसके साथ स्कूल की सभी छात्राओं ने सहयोग करके मानव श्रृंखला का निर्माण किया।
गौर ने शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपनी कमाई का आधे से अधिक हिस्सा दान कर दिया। ब्रिटेन की सरकार ने डॉ. गौर को सर की उपाधि से सम्मानित किया। अब भारत सरकार की बारी है कि इस बार सपूत को शिक्षा में योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
रोहिणी अहिरवार, शिक्षक
डॉ. गौर शहर के गौरव बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने सागर शहर जो कि शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ा था। इसके लिए सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की। सर गौर सागर ही नहीं पूरे देश के गौरव हैं आप से हम सभी देश वासियों का अनुरोध है कि उन्हें भारत रत्न से अलंकृत कीजिए।
अर्चना कुशवाहा, अर्चना कुशवाहा
डॉ. सर गौर ने धन से ऊपर शिक्षा की अलख जगाते हुए बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र को ज्ञान के सागर से भरने का बीड़ा उठाया और स्वयं के कमाए धन और निजी संपत्ति से स्थापित किया जाने वाला भारत का पहला विश्वविद्यालय स्थापित किया।
मधुलिका जैन, शिक्षक
Published on:
18 Nov 2025 07:11 pm
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