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बच्चों में निमोनिया का खतरा, कफ सिरप के बजाय घरेलू नुस्खे अपनाएं

देश- प्रदेश में कफ सिरप के कथित सेवन से बच्चों की लगातार हो रही मौतों के बाद अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय चेता है। इसको लेकर एडवाइजरी कर सतर्कता बरतने व कफ सिरप के बाज घरेलू नुस्खे अपनाने की हिदायत दी गई है।

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सीकर. देश- प्रदेश में कफ सिरप के कथित सेवन से बच्चों की लगातार हो रही मौतों के बाद अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय चेता है। इसको लेकर एडवाइजरी कर सतर्कता बरतने व कफ सिरप के बाज घरेलू नुस्खे अपनाने की हिदायत दी गई है। इसके बाद जिले में भी इस पर अमल करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है। नेहरू पार्क के पास जनाना अस्पताल में खांसी, बुखार व जुकाम से ग्रस्त छोटे बच्चों के उपचार में अब चिकित्सक कफ सिरप नहीं, अभिभावकों को घरेलू देसी नुस्खों शहद, भाप व तरल पदार्थ के उपयोग की सलाह दे रहे हैं। वजह सर्दी का असर बढ़ने और पिछले दिनो कफ सीरप के इस्तेमाल से बीमार और मौत के बाद मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में मिलने वाले डेक्ट्रोमेथारफेन कफ सीरप के वितरण पर रोक लगा देना है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि छोटे बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सीरप नहीं दें, क्योंकि इन दवाओं के दुष्प्रभाव से सांस की तकलीफ बढ़ सकती है। संस्थान ने सलाह दी है कि घरेलू उपाय और सावधानियां ही बच्चों को सुरक्षित रखने का सबसे बेहतर तरीका हैं। इधर सर्द मौसम के कारण बच्चों में निमोनिया और खांसी-जुकाम के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। राहत की बात है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की ओर से बताए जा रहे घरेलू नुस्खों से बीमार बच्चे स्वस्थ भी हो रहे हैं।

चिकित्सकों को सलाह

केंद्र सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में बताया गया कि ज्यादातर खांसी लगभग 7 से 10 दिन में स्वत: ठीक हो जाती है। चिकित्सक खांसी, जुकाम व बुखार से ग्रस्त छोटे बच्चों के उपचार के लिए घरेलू प्राथमिक उपचार के रूप में पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिलाने, आराम, एक साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए शहद व भाप का उपयोग करने तथा नाक में सलाइन ड्रॉप डालने की सलाह दें।

कफ सिरप के दुष्प्रभाव

चिकित्सकों के अनुसार कफ सीरप से छोटे बच्चों में कई बार गंभीर दुष्प्रभाव सामने आते हैं। इसलिए चिकित्सक जरूरत होने पर ही बच्चों में खांसी के इलाज में डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त दवा नहीं दें। बच्चों को पैरासिटामोल की डोज चिकित्सक की सलाह से ही दें। अधिक डोज से लीवर व गुर्दे से संबंधित परेशानियां बढ़ सकती है।

घरेलू और प्राकृतिक उपाय कारगर

आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार बच्चों की सांस की नली बेहद संकरी होती है। कफ सीरप से नींद तो आ जाती है लेकिन सांस नली में कफ जमा रहने से कई बार सांस रुकने का खतरा रहता है। इसलिए घरेलू और प्राकृतिक उपाय ज्यादा सुरक्षित हैं। सर्दी-जुकाम होने पर भाप, तुलसी-अदरक का काढ़ा, हल्दी वाला दूध, या शहद के साथ अदरक रस जैसे घरेलू नुस्खे अपनाएं। बीमार बच्चों को पर्याप्त मात्रा में तरल दें। कफ सीरप, एंटीबायोटिक या अन्य दवाएं बिना चिकित्सक की सलाह के बिल्कुल न दें। छह माह तक के बच्चों को केवल मां का दूध ही दें, यह प्राकृतिक इम्यूनिटी बढ़ाने का सबसे असरदार तरीका है। बच्चे के सीने में घरघराहट, तेज सांस, या बुखार 100 डिग्री से ज्यादा होने पर फौरन चि?कित्सक को दिखाएं।

चिकित्सक बोले: सावधानी रखें

सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार छोटे बच्चों में सामान्य जुकाम, खांसी व बुखार के लक्षण दिखाई देने पर शहद, भाप व तरल पदार्थ देने की सलाह दे रहे हैं। इससे बच्चे स्वस्थ भी हो रहे हैं। सरकार ने जिस दवा पर रोक लगाई है वह नहीं दी जा रही है। अभिभावक बच्चों को कोई भी दवा चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं दें

डॉ. विवेक अठवानी, शिशु रोग विशेषज्ञ, जनाना अस्पताल