
अध्ययन में शामिल लगभग हर तीन में से एक बच्चे को जल्दी यौवन का चिकित्सकीय निदान मिला — जो एक ही समूह के लिए काफी बड़ी संख्या मानी जाती है।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. यांग-चिंग चेन (Taipei Municipal Wanfang Hospital और Taipei Medical University) ने पाया कि Sucralose का असर लड़कों में ज़्यादा था, जबकि लड़कियों में Sucralose, Glycyrrhizin और Added Sugars तीनों से जोखिम बढ़ा। यह प्रभाव मात्रा पर निर्भर था — यानी जितना अधिक सेवन, उतनी अधिक संभावना।ये प्रभाव बच्चों के जीन (Genetics) से स्वतंत्र थे, यानी जिन बच्चों में आनुवंशिक जोखिम था और जिनमें अधिक मिठास का सेवन था — दोनों में जल्दी यौवन का खतरा बढ़ा, लेकिन दोनों कारण एक-दूसरे को नहीं बढ़ाते थे। ,
वैज्ञानिकों के अनुसार, एक संभावना यह है कि Acesulfame Potassium नामक मिठास गोनाडोट्रॉपिन-रिलीज़िंग हार्मोन (GnRH) को बढ़ा सकती है, जो यौवन की प्रक्रिया शुरू करता है।
एक दूसरी संभावना आंतों के सूक्ष्मजीवों (Gut Microbes) से जुड़ी है — Glycyrrhizin आंतों के बैक्टीरिया को बदलकर हार्मोन संकेतों को प्रभावित कर सकती है।
हालांकि प्रयोगशाला अध्ययनों में Glycyrrhizin को कभी-कभी संरक्षक प्रभाव वाला भी पाया गया है, लेकिन लड़कियों में इसके विपरीत असर देखे गए, जिससे वैज्ञानिक और जांच की जरूरत मानते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, बहुत जल्दी यौवन आने से बच्चे भावनात्मक तनाव, कम लंबाई, और आगे चलकर मेटाबॉलिक व प्रजनन संबंधी बीमारियों के अधिक जोखिम में आ सकते हैं।
ऐसे मामलों में परिवार, स्कूल और डॉक्टरों को मिलकर बच्चों की देखभाल करनी चाहिए।
यह अध्ययन पर्यवेक्षणात्मक (Observational) है — यानी यह केवल संबंध दिखाता है, कारण साबित नहीं करता।
शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में ऐसे अध्ययन अलग-अलग देशों और खानपान की आदतों के साथ दोहराए जाने चाहिए ताकि परिणामों की पुष्टि हो सके।
Published on:
12 Nov 2025 07:18 pm
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