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हाईटेक ड्रैगन फ्रूट की खेती- मोबाइल छोड़ा, मिट्टी थामी, ड्रैगन क्विन बनीं प्रमिला

-कृष्ण चौहान-जैविक तरीके से कर रहीं उन्नत खेती,श्रीविजयनगर की प्रमिला बिश्नोई ने रचा नया इतिहास

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श्रीगंगानगर.कभी मोबाइल स्क्रीन पर गुजरते घंटे आज मिट्टी में नई उम्मीदें उगा रहे हैं। श्रीविजयनगर तहसील के गांव 16 जीबी की प्रमिला बिश्नोई ने यह साबित कर दिया कि मजबूत इच्छाशक्ति और सही दिशा से जीवन बदल सकता है। कुछ वर्ष पहले तक उनका अधिक समय घर के काम और मोबाइल पर गुजरता था, लेकिन एक दिन उन्होंने ठान लिया कि समय को सार्थक बनाया जाए। खोज की इस यात्रा में उन्हें मिली राह हाईटेक जैविक ड्रैगन फ्रूट खेती की।

अध्यापक पति ओमप्रकाश बिश्नोई के सहयोग से प्रर्मिला ने सवा बीघा भूमि में 1500 पौधे लगाए, जिन्हें करनाल (हरियाणा) से मंगाया गया। लगभग 5 लाख रुपए की लागत से शुरू हुई यह पहल 16 अगस्त 2024 को आरंभ की गई थी। खास बात यह कि प्रमिला रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करते हुए पूरी खेती जैविक पद्धति से कर रही हैं खुद तैयार किए गए जीवामृत,घनजीवामृत और गोबर खाद का उपयोग करते हुए। पौधों की ग्रोथ बहुत ही अच्छी है और दिसंबर 2025 से फल उत्पादन संभावित है।

स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पाद मिलता

प्रमिला बताती हैं "मैं चाहती थी कि परिवार के साथ-साथ गांव की महिलाएं भी प्रेरित हों। जैविक तरीके से खेती करने से लागत कम होती है और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पाद मिलता है।" पति और बेटियां—एमबीबीएस कर रही स्वेता तथा कोमल इस यात्रा में उनका सबसे बड़ा सहारा बनीं।

फलों की मिठास और गुणवत्ता बेहतरीन

उद्यान विभाग के कृषि अधिकारी राजेंद्र कुमार नैण के अनुसार श्रीगंगानगर की मिट्टी और जलवायु ड्रैगन फ्रूट के लिए अत्यंत अनुकूल है। जैविक तरीके से उगाए गए फलों में स्वाद और मिठास प्राकृतिक रूप से अधिक मिलती है। कम पानी में बेहतर उत्पादन देने वाली यह फसल किसानों के लिए सुरक्षित और लाभदायक विकल्प बन सकती है। ड्रैगन फ्रूट 20 दिन तक खराब नहीं होता, जिससे किसानों का जोखिम भी कम रहता है।

रोल मॉडल बनीं प्रमिला

बारहवीं पास प्रमिला आज सिर्फ किसान नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का चमकता उदाहरण बन चुकी हैं। उनका साहस और लगन यह संदेश दे रहा है कि यदि नारी शक्ति ठान ले,तो बंजर परिस्थितियां भी हरी फसल का रूप ले सकती हैं।

नारी शक्ति की नई मिसाल

  • गांव 16 जीबी की प्रमिला कर रहीं हाईटेक जैविक ड्रैगन फ्रूट की खेती
  • 1500 पौधे, कुल लागत लगभग 5 लाख रुपए
  • 16 अगस्त 2024 को लगाए गए पौधे, दिसंबर 2025 में संभावित उत्पादन
  • खेती में पति ओमप्रकाश और बच्चों का पूरा सहयोग
  • क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु ड्रैगन फ्रूट के लिए अनुकूल
  • आसपास के किसान भी जैविक तरीके से नई फसलें अपनाने के लिए प्रेरित