
सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट निवाई (फोटो-पत्रिका)
Sohela Firing Case: टोंक। पीपलू उपखंड के गांव सोहेला में करीब 20 वर्ष पूर्व हुए गोलीकांड को लेकर निवाई एडीजे कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। एडीजे सृष्टि चौधरी ने मौखिक फैसला सुनाते हुए राजकार्य में बाधा डालने के मामले में सभी 27 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में कुल 32 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 5 लोगों की जांच के दौरान पहले ही मौत हो चुकी है।
किसानों की पैरवी करने वाले वकील नरेंद्र चौधरी ने बताया कि सोहेला गोलीकांड में पुलिस ने किसानों के खिलाफ हथियारों से पुलिस पर हमले तथा राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने का मामला दर्ज करवाया था। सरकार बनाम जाकिर व अन्य मुकदमे में 250 गवाह पेश किए गए, लेकिन एक भी गवाह किसानों के पास हथियार होने की पुष्टि नहीं कर पाया।
संदेह के आधार पर एडीजे ने अपने फैसले में नामजद सभी 32 किसानों को बरी कर दिया। उन्होंने बताया कि मुकदमे के दौरान मदनलाल सहित पांच लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि बीसलपुर बांध से किसानों को पानी उपलब्ध करवाने की मांग को लेकर 13 जून 2005 को हुए शांतिपूर्ण आंदोलन में पुलिस गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई थी। किसानों ने बीसलपुर बांध से टोरडी सागर सहित आसपास के बांधों में लिफ्ट कर पानी डलवाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग-52 पर धरना दिया था। प्रदर्शन के दौरान स्थिति तनावपूर्ण होने पर पुलिस ने भीड़ पर फायरिंग कर दी, जिसमें एक गर्भवती महिला हंसा देवी गुर्जर सहित पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
घटना के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया था। संघर्ष के बाद मृतक किसानों के परिजनों को राहत देने की मांग उठी थी, जिसके बाद सरकार ने मृतका हंसा देवी के बेटे देवराज गुर्जर को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की थी। सोहेला गोलीकांड के बाद तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक को हटा दिया था। पीड़ितों से सोनिया गांधी सोहेला मिलने पहुंची थीं।
Published on:
03 Dec 2025 06:00 am
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