
जयसमंद पाइप लाइन प्रोजेक्ट (फोटो- पत्रिका)
Udaipur News: उदयपुर शहर की पेयजल डिमांड पूरी करने के लिए पांच साल पहले घोषित जयसमंद पाइप लाइन प्रोजेक्ट की बड़ी समस्या का हल निकलने के नजदीक है। जयसमंद से ज्यादा पानी लाने को लेकर चल रहे विरोध में सहमति बनने की उम्मीद बंध रही है।
प्रोजेक्ट घोषित होने के बाद पांच साल के दरमियान 5 बैठकें बेनतीजा हो चुकी हैं, जिन मांगों को लेकर विरोध किया जा रहा था, वे लगभग पूरी हो चुकी हैं। ऐसे में 12 नवंबर को होने वाली बैठक में सहमति बनने की उम्मीद है।
उदयपुर शहर के लिए जयसमंद से ज्यादा पानी लाने की योजना पांच साल पहले घोषित हुई पर जयसमंद झील संघर्ष समिति ने विरोध कर दिया। ऐसे में जो प्रोजेक्ट इस साल पूरा हो जाना था, वह अब तक अधूरा है।
यही नहीं, दो साल पहले विधानसभा चुनाव, इसके बाद लोकसभा चुनाव और फिर सलूंबर के उपचुनाव की वजह से जनप्रतिनिधियों ने भी रुचि नहीं दिखाई। अब तीन दिन बाद होने वाली बैठक के सामने किसी तरह की अड़चन नहीं है। लिहाजा चर्चा नतीजे पर पहुंचने की प्रबल संभावनाएं हैं।
आगामी 12 नवंबर को होने वाली बैठक में संभागीय प्रशासन, जिला प्रशासन, सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, सलूंबर विधायक शांता देवी मीणा, जलदाय विभाग प्रोजेक्ट डिविजन, सिटी डिविजन के इंजीनियर के साथ ही जयसमंद झील संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की भागीदारी रहेगी। बैठक संभागीय आयुक्त कार्यालय में संभागीय आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी की अध्यक्षता में होगी।
शहर में 152 एमएलडी पानी की जरूरत है, जबकि 105 एमएलडी जलापूर्ति ही हो पा रही है। नए जल स्रोत विकसित नहीं हो पा रहे हैं, जबकि जयसमंद से पानी की मात्रा बढ़ाकर पूर्ति की जा सकती है। उदयपुर शहर का सबसे बड़े उपनगरीय क्षेत्र में जयसमंद के पानी की आपूर्ति की जाती है। अब उदयपुर प्राधिकरण होने से शहरी विस्तार हो गया, लेकिन जरूरत के मुताबिक नया जल स्रोत नहीं बना है।
वर्तमान में चल रही जयसमंद पाइप लाइन 30 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है, जो बार-बार क्षतिग्रस्त होने से शहर में पानी पर्याप्त नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं, घोषणा के मुताबिक पानी की मात्रा बढ़ानी है।
जुलाई 2023 में संघर्ष समिति और जिले के विशेषाधिकारी से मांग की गई कि जयसमंद का पानी उदयपुर न ले जाया जाए और ऐसा न होने पर 2 अगस्त से उग्र आंदोलन की चेतावनी दी थी। उस समय की घटना का मुद्दा विधानसभा तक पहुंचा था।
सितंबर 2022 में संभागीय आयुक्त कार्यालय में तत्कालीन पीएचईडी राज्यमंत्री अर्जुन बामनिया की मौजूदगी में बैठक हुई थी। जयसमंद क्षेत्र के 93 और कुराबड़ के 12 गांवों के लिए पानी आरक्षित करने पर चर्चा हुई। तब तक प्रोजेक्ट अस्थाई रूप से बंद रहा।
मई 2025 में प्रशासन के साथ अंतिम बैठक गत 25 मई को हुई थी। इसमें चर्चा हुई, लेकिन नतीजे तक नहीं पहुंची। जयसमंद झील संघर्ष समिति ने मांगें रखी, लेकिन चर्चा के बाद भी बात नहीं बनी। इसके बाद प्रयास किए, लेकिन बैठक नहीं हुई।
सितंबर 2023 में सलूंबर जिला कलक्टर कार्यालय में बैठक हुई, जिसमें जयसमंद की पाल पर बुलाए गए महापड़ाव से एक दिन पहले चर्चा हुई थी। प्रशासन से बातचीत और उचित निर्णय के आश्वासन के बाद संघर्ष समिति ने महापड़ाव स्थगित किया था।
-2020 के बजट में हुई घोषणा
-2021 में होने लगा था काम
-2023 में विरोध से काम रुका
-2025 में पूरा होना था प्रोजेक्ट
-2027 तक भी होना संभव नहीं
-22 एमएलडी पानी जयसमंद से मिलता
-52 किमी लबी है जयसमंद पाइप लाइन
-60 कॉलोनियों में होती इससे जलापूर्ति
-1.25 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित
-214 करोड़ लागत है नए प्रोजेक्ट की
Published on:
09 Nov 2025 10:22 am
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