2 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan : उदयपुर में मिली दो अरब साल पुरानी चट्टानें, इनमें छुपा है पृथ्वी के जन्मकाल का रहस्य, हैरत में हैं वैज्ञानिक

Rajasthan : अब राजस्थान बताएगा पृथ्वी के जन्मकाल का रहस्य। अरबों साल पुरानी अरावली पर्वतमाला की चट्टानों में धरती के जन्मकाल के रहस्य छिपे हैं। उदयपुर के इसवाल क्षेत्र में मिली इन चट्टानों ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया है। पढ़ें ये रोचक खबर।

2 min read
Google source verification
Udaipur Iswal region found Two billion year-old rocks secrets about Earth origins leaving scientists astonished

इसवाल गांव की चट्टानों को माइक्रोस्कोप से लिया गया डोलोमाइट का फोटो। फोटो पत्रिका

Rajasthan : अरबों साल पुरानी अरावली पर्वतमाला की चट्टानों में धरती के जन्मकाल के रहस्य छिपे हैं। उदयपुर के इसवाल क्षेत्र में मिली इन चट्टानों ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के डॉ. रितेश पुरोहित और उनकी अंतरराष्ट्रीय टीम ने इनमें ऐसे रासायनिक संकेत खोजे हैं, जो पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को समझने में नई दिशा दे सकते हैं। शोध ने ऊइड्स नामक सूक्ष्म कार्बोनेट गोलकों की उत्पत्ति को लेकर अब तक की मान्यताओं को बदल दिया। यह शोध जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ अमेरिका बुलेटिन में प्रकाशित हुआ है।

ऊइड्स यानी समुद्र तल पर बनने वाले सूक्ष्म, गोलाकार पत्थर के दाने को अब तक उच्च ज्वारीय ऊर्जा या सूक्ष्मजीवों की क्रियाओं से बनने वाला माना जाता था। पर डॉ. पुरोहित और उनकी टीम ने दावा किया है कि ये गोलक रासायनिक रूप से ‘ऑसिलेटिंग रिएक्शन’ (एक प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया जिसमें समय के साथ अभिकारकों की सांद्रता में नियमित परिवर्तन होते हैं) नामक प्रक्रिया से बने हैं।

यह एक ऐसी अजैविक रासायनिक क्रिया है, जिसमें जीवन के बिना ही जैविक पदार्थों के क्षरण से ऊर्जा उत्पन्न होती है और उससे सुंदर और एक समान परतदार गोलक बनते हैं।

वैश्विक भूगर्भ मानचित्र पर उभरे इसवाल और घासियार

शोध में टीम ने ऑस्ट्रेलिया के शार्क बे से लेकर कनाडा, चीन और भारत तक 9 भूवैज्ञानिक स्थलों से नमूने लिए। इनमें उदयपुर के इसवाल व घासियार क्षेत्र के पत्थरों का भी अध्ययन किया गया। यहां पाए गए डोलोमाइटिक ऊइड्स लगभग दो अरब वर्ष पुराने हैं।

माइक्रोस्कोपिक विश्लेषण और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी से पता चला कि इन गोलकों में लोहा, कार्बन और सल्फर के सूक्ष्म निशान हैं, जो यह दर्शाते हैं कि इनकी संरचना रासायनिक रूप से विकसित हुई है, न कि केवल जैविक या भौतिक घर्षण से। भूगर्भ विज्ञानी पुरोहित का कहना है कि ऐसी चट्टानें जियो-हेरीटेज साइट के रूप में संरक्षित की जानी चाहिए।

पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का नया दृष्टिकोण

डॉ. पुरोहित के अनुसार, यह खोज बताती है कि पृथ्वी के प्रारंभिक काल में जीवन और रासायनिक प्रक्रियाएं एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी थीं। कई बार जिन्हें जीवाश्म या जीवन के संकेत माना जाता है, वे वास्तव में अजैविक रासायनिक प्रतिक्रियाओं के परिणाम हो सकते हैं।

यह अध्ययन पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति की समझ को नया दृष्टिकोण देता है, बल्कि मंगल और अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं को भी परखने में मदद करेगा। शोध में उदयपुर के सेवानिवृत्त प्रो. ए. वी. रॉय, प्रो. हर्ष भू और डॉ. के. के. शर्मा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।


बड़ी खबरें

View All

उदयपुर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग