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अजमेर

चल रहे अतिक्रमण पर हथौड़े, टूटेंगी 208 दुकानें और झौंपडि़यां

दालत ने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के 12 दिसम्बर 1996 के निर्णय का भी हवाला दिया था। जिसके मुताबिक एक बार वन भूमि के रूप में दर्ज जमीन की वैधानिक स्थिति में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

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अजमेर. अजमेर के दरगाह क्षेत्र के अंदरकोट के मीठे नीम व बड़े पीर के पैदल रास्तों पर बनी दुकानों, झौंपडि़यों को शनिवार को ध्वस्त किया गया। चिन्हित किए गए 268 अतिक्रमण में से 208 पर हथौड़े चल रहे हैं। जिला कलक्टर लोकबंधु, एसपी वंदिता राणा की अगुवाई में 1 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी, प्रशासनिक टीमें तैनात रही। बड़े पीर की दरगाह-मीठा नीम और तारागढ़ इलाके में शनिवार सुबह दुकानों को तोड़ने की कार्यवाही शुरू की गई कार्यवाही के दौरान पुलिस का भारी बल तैनात किया गया।

जोनवार टीमें रहेंगी तैनात

अतिरिक्त कलक्टर गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पुलिस, एडीए और वन विभाग की टीमों को कार्रवाई की रूपरेखा बताई गई है। प्रशासन ने करीब 10 से 12 जोन बनाए हैं। पुलिस, एडीए और वन विभाग के रेंजर्स को अलग-अलग पॉइंट की जिम्मेदारी दी है। यह थाना प्रभारियों, पुलिसकर्मियों के साथ कार्रवाई में शामिल होंगे। बीते साल हुए सर्वेक्षण में नगर निगम की 300 और वन विभाग की 700 बीघा जमीन निकली है।

दुकानदारों ने हटाए अतिक्रमणउपवन संरक्षक वीरेंद्र सिंह जोरा ने बताया कि वन विभाग की जमीन पर काबिज 50 से ज्यादा दुकानदारों ने खुद सामान हटा लिए। तारागढ़ पुलिस चौकी पर प्रशासन ने लोगों को कार्रवाई की जानकारी दी है। एडीएम राठौड़ ने बताया कि अदालत से स्टे लेने वाले दुकानदारों को छोड़कर अन्य सभी अतिक्रमण हटाए जाएंगे। इस मामले में वन विभाग गत 21 अप्रेल को नोटिस जारी कर चुका है। पत्रिका ने इस मामले में सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए।

अदालत ने दिए हैं बेदखली के आदेश

वन विभाग की याचिका पर अदालत ने वन भूमि पर अतिक्रमण मानकर कई प्रतिवादियों को बेदखल करने के आदेश दिए थे। अदालत ने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के 12 दिसम्बर 1996 के निर्णय का भी हवाला दिया था। जिसके मुताबिक एक बार वन भूमि के रूप में दर्ज जमीन की वैधानिक स्थिति में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।