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नई दिल्ली

पहलगाम का गद्दार है मोहम्मद यूसुफ कटारी, कबूलनामे में उगले कई राज

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जुड़ी जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। इस हमले के मामले में गिरफ्तार किए गए 26 साल के मोहम्मद यूसुफ कटारी ने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाली बातें बताई हैं।

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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जुड़ी जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। इस हमले के मामले में गिरफ्तार किए गए 26 साल के मोहम्मद यूसुफ कटारी ने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाली बातें बताई हैं।

मोहम्मद यूसुफ कटारी, जो दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले का रहने वाला है, हमले से पहले तीन आतंकियों से चार बार मिला था। उसने इन आतंकियों के नाम सुलेमान उर्फ आसिफ, जीब्रान और हामजा अफगानी बताये हैं। यह मुलाकातें हमले से पहले की गई थीं, इस दौरान कटारी ने आतंकियों को कुछ जरूरी सामान भी दिए थे, जिनमें एक एंड्रॉयड फोन का चार्जर भी शामिल था। बाद में यही चार्जर सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक अहम सुराग बन गया। हमले के बाद जब घटनास्थल की जांच की गई, तो वहां से आंशिक रूप से नष्ट हुआ एक मोबाइल चार्जर बरामद हुआ। फोरेंसिक जांच में यह चार्जर कटारी से जोड़ा गया, जिससे उसके आतंकियों से संपर्क की पुष्टि हुई है।

कटारी ने यह भी कबूला है कि उसने श्रीनगर के पास जाबरवान पहाड़ियों में आतंकियों से मुलाकात की थी। सिर्फ मुलाकात ही नहीं, उसने आतंकियों को पहाड़ियों से बाहर निकलने का आसान रास्ता भी बताया था, ताकि वे सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ सकें। इस हमले के बाद जब सुरक्षाबलों ने “ऑपरेशन महादेव” चलाया, तो उस दौरान तीन आतंकियों को मार गिराया गया था। उसी ऑपरेशन में बरामद किए गए सामान का फोरेंसिक विश्लेषण हुआ, जिससे कटारी का नाम सामने आया।

अब इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA को सौंपी जा सकती है, जो पहले से ही इस हमले के पीछे की बड़ी साजिश की जांच कर रही है। एनआईए अब तक इस केस में दो लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिन पर आतंकियों को सामान देने और छिपने की जगह मुहैया कराने के आरोप हैं।

बता दें कि कटारी की गिरफ्तारी से कश्मीर घाटी में आतंकी नेटवर्क के कई और कड़ियों का खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है। जांच एजेंसियां अब इस बात पर फोकस कर रही हैं कि क्या कटारी जैसे लोग आतंकी संगठनों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट का हिस्सा बन रहे हैं।

ऐसे में इस खुलासे ने एक बार फिर दिखा दिया है कि आतंकी हमलों के पीछे सिर्फ हथियारबंद लोग नहीं, बल्कि जमीन पर उनके मददगार भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। अब जांच एजेंसियों की नजर इन नेटवर्क्स को जड़ से खत्म करने पर है।