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भारत, रूस और चीन: छोटे परमाणु रिएक्टर की दौड़ में कौन है सबसे आगे और क्यों ?

Small Modular Reactors: भारत, रूस और चीन छोटे परमाणु रिएक्टरों के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ये मॉड्यूलर रिएक्टर ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने और स्वच्छ, सुरक्षित ऊर्जा प्रदान करने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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भारत

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MI Zahir

Sep 27, 2025

Small Modular Reactors

छोटे परमाणु रिएक्टर। (फोटो: X Handle Patrick Moore.)

Small Modular Reactors: आज की दुनिया में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों के कारण छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (Small Modular Reactors) नई उम्मीद बन कर उभरे हैं। ये छोटे और फैक्ट्री में बने रिएक्टर पारंपरिक बड़े परमाणु प्लांट्स (Nuclear Energy Innovation) की तुलना में ज्यादा तेज़ और सुरक्षित तरीके से बिजली प्रदान करते हैं। रूस, चीन और भारत इस तकनीक को अपनाने और विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। रूस की सरकारी कंपनी रोसाटॉम इस क्षेत्र में अग्रणी है। उन्होंने आइसब्रेकर जहाजों में लंबे समय से छोटे रिएक्टरों का सफल उपयोग किया है। अब रूस याकुटिया क्षेत्र में छोटे रिएक्टर बना रहा है और उज़्बेकिस्तान को भी सप्लाई कर रहा है। वहीं चीन ने 100 मेगावाट क्षमता वाला एक परीक्षण रिएक्टर (India Nuclear Power)स्थापित कर इस तकनीक में अपनी पकड़ मजबूत की है। भारत भी पीछे नहीं है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में स्वदेशी रूप से छोटे रिएक्टर बनाने पर काम कर रहा है।

छोटे रिएक्टर की खासियतें

ये रिएक्टर छोटे क्षेत्र में फिट हो जाते हैं, जैसे कि रूसी SMR केवल 15-17 हेक्टेयर में समा जाते हैं। ये ट्रेन या ट्रक से कहीं भी पहुंचाए जा सकते हैं। एक रिएक्टर 55 मेगावाट बिजली और 200 मेगावाट तक गर्मी प्रदान कर सकता है। यूरेनियम ईंधन की मात्रा पारंपरिक रिएक्टरों से ज्यादा होती है, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित है। इन रिएक्टरों को विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों, छोटे द्वीपों और उन जगहों के लिए डिजाइन किया गया है जहां अभी डीजल जनरेटर का उपयोग होता है।

भारत-रूस सहयोग की संभावनाएं

रूस ने साफ किया है कि भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग और भाभा अनुसंधान केंद्र से सहयोग के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं। वे भारत में आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना चाहते हैं और स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। भारत में निजी कंपनियों के प्रवेश से यह क्षेत्र और भी ज्यादा तेजी से विकसित होगा। रूस ने इस पहल का स्वागत किया है और हर संभव मदद के लिए तत्पर है।

सुरक्षा और पर्यावरण

परमाणु ऊर्जा की सुरक्षा को लेकर चिंता स्वाभाविक है, लेकिन रूसी SMR का 400 से अधिक रिएक्टर-वर्षों का अनुभव और अब तक कोई गंभीर दुर्घटना न होना इस तकनीक की विश्वसनीयता को दर्शाता है। ये रिएक्टर कई तरह की सुरक्षा प्रणालियों से लैस हैं जो दुर्घटना से बचाव सुनिश्चित करती हैं। साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर हैं क्योंकि ये लंबे समय तक बिना रीलोडिंग के काम कर सकते हैं और कार्बन उत्सर्जन को काफी कम करते हैं।

भारत के लिए छोटे रिएक्टर क्यों जरूरी ?

भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को देखते हुए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकते हैं। ये तकनीक खासकर उन इलाकों के लिए उपयोगी है जहां बिजली पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है। इसके अलावा ये डेटा सेंटर, औद्योगिक क्षेत्र और द्वीपों को किफायती और साफ ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें SMR की भूमिका अहम होगी।

भविष्य की ऊर्जा: मॉड्यूलर और टिकाऊ

छोटे रिएक्टर अपनी तेज स्थापना और कम लागत के कारण बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में अधिक लचीले और किफायती साबित होंगे। जैसे-जैसे भारत और विश्व अन्य ऊर्जा विकल्पों के साथ-साथ इस तकनीक को भी अपनाएंगे, ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। रूस, चीन और भारत की यह दौड़ वैश्विक ऊर्जा के भविष्य को नया आकार देगी।

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर की तकनीक तेजी से उभर रही

बहरहाल परमाणु ऊर्जा में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर की तकनीक तेजी से उभर रही है। चीन इस दौड़ में आगे है, रूस अनुभव के साथ आगे बढ़ रहा है, और भारत इस क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। भारत-रूस का सहयोग इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत कर सकता है।