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पाकिस्तान के वैज्ञानिक का पर्दाफाश: CIA ने कैसे तोड़ा नेटवर्क, मुशर्रफ का गुस्सा और लॉलर की जासूसी

Musharraf AQ Khan Reaction: सीआईए के पूर्व अधिकारी जेम्स लॉलर ने खुलासा किया कि जब अमेरिका ने मुशर्रफ को AQ खान के लीबिया को परमाणु तकनीक बेचने के पक्के सुबूत दिखाए, तो गुस्से में मुशर्रफ फट पड़े।

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Musharraf AQ Khan Reaction

CIA के पूर्व गुप्त ऑपरेशंस एक्सपर्ट जेम्स लॉलर। (फोटो: ANI )

Musharraf AQ Khan Reaction: वॉशिंगटन से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। CIA के पूर्व गुप्त ऑपरेशंस एक्सपर्ट जेम्स लॉलर (CIA James Lawler Interview) ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि उन्हें पाकिस्तान के परमाणु जनक अब्दुल कादिर खान के ग्लोबल तस्करी रिंग के बारे में पता चल गया था, जिसे नेस्तनाबूद करने का टर्निंग पॉइंट तब सामने आया, जब यूएस गुप्तचर एजेंसी ने पा​​किस्तान के नेताओं को खान की हरकत से जुड़े पक्के सुबूत थमाए। इन मिशंस को खुद लीड करने वाले लॉलर ने कहा कि सीआई चीफ जॉर्ज टेनेट ने मुशर्रफ से साफ कहा था (Musharraf AQ Khan Reaction)– "खान लीबिया और शायद दूसरे देशों को पाक के न्यूक्लियर सीक्रेट्स लीक कर रहा है।" यह सुनते ही मुशर्रफ का गुस्सा उबल पड़ा था।

खान को बरसों घर में कैद करने का फैसला किया गया था

मुशर्रफ उसी समय चिल्लाए थे, "मैं उस कमीने को मार डालूंगा!" लेकिन बाद में उन्होंने खान को बरसों घर में कैद करने का फैसला किया था। लॉलर ने बताया कि यह कदम उनके नेटवर्क को कंट्रोल करने के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। गौरतलब है कि खान को 2004 से 2009 तक नजरबंद रखा गया था। लॉलर ने मुशर्रफ के इस रिएक्शन को याद करते हुए कहा कि उस समय के पाक आर्मी चीफ के पास इतने पुख्ता सुबूत थे कि खान का कोई बहाना नहीं चला।

अगर प्रसारकों को हराना है, तो खुद प्रसारक बनो : लॉलर

दरअसल लॉलर का सफर 1990 के मध्य से शुरू हुआ। उन्हें यूरोप में परमाणु अप्रसार मिशन का काम सौंपा गया। उन्होंने अपनी टीम के साथ फेक कंपनियां खड़ी कीं, जो असली सप्लायर्स जैसी लगती थीं। वे स्टिंग ऑपरेशंस के माध्यम से खान के नेटवर्क में घुस गए और उसके नक्शे बनाए। लॉलर ने अपनी फिलॉसफी शेयर की – "अगर प्रसारकों को हराना है, तो खुद प्रसारक बनो।" मतलब, संवेदनशील गियर बेचने वाली फर्म्स बनाओ, लेकिन अंदर से तोड़फोड़ करना जारी करो। बात यह थी कि उनकी टीम छोटी थी – यानि मुख्यालय में 10 से कम लोग, लेकिन फील्ड में उनका बहादुर एजेंट्स की मदद से काम चला।

'डेथ मर्चेंट' बन चुका था अब्दुल कादिर खान

परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को शुरू में सिर्फ पाक के लिए परमाणु तकनीक खरीदने वाला समझा गया, लेकिन बाद में पता चला कि वो 'डेथ मर्चेंट' बन चुका था और 30 बरसों में तो टेक्नोलॉजी तस्करी का मास्टर बन गया था। लॉलर ने खास तौर पर लीबिया केस को हाईलाइट किया। जब सन 2003 में उनकी टीम ने BBC चाइना शिप रोका और न्यूक्लियर पार्ट्स से भरे कंटेनर्स जब्त किए थे। इससे गद्दाफी को अपना सीक्रेट प्रोग्राम स्वीकार करना पड़ा। लीबिया के उच्चाधिकारी सदमे में चुप थे, फिर बोले – "अल्लाह की कसम, आप सही कह रहे हो।"

पहले ईरान पर फोकस था, बाद में खान पर शिफ्ट हो गया

लॉलर ने बताया कि सीआईए ने सुबूत इकट्ठे करने के साथ तकनीकी तोड़फोड़ का भी इस्तेमाल किया। उसने सेंट्रीफ्यूज प्रोग्राम्स बर्बाद करने के लिए लैब टेस्टेड तरीके अपनाए। उन्होंने कहा, "ऐसा न करने का रिस्क ही रिस्क था।" पहले ईरान पर फोकस था, बाद में खान पर शिफ्ट हो गया। यहां तक कि उरेन्को डिजाइन्स कई देशों तक फैले।

अब वो जासूसी उपन्यास लिखते हैं

उस समय लॉलर ने चेतावनी दी थी कि ईरान का परमाणु ​हथियार मध्य पूर्व में चेन रिएक्शन शुरू कर सकता है – और कई देश न्यूक्लियर आर्म्स रेस में कूद पड़ेंगे। लॉलर ने अपने 25 साल के सीआईए करियर (1980-2005) पर कहा कि 'मैड डॉग' निकनेम फ्रांस में डॉग बाइट से आया। अब वो जासूसी उपन्यास लिखते हैं और अपने मिशन पर गर्व महसूस करते हैं। उनका कहना है, "परमाणु हथियार रोकना हर किसी का फर्ज है।" (ANI)