
नेपाल की मुद्रा पर नक्शे का विवाद। ( फोटो: X Handle/ Global perspective)
Nepal Currency Map Dispute: नेपाल राष्ट्रीय बैंक ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे भारत में खलबली मच गई है। बैंक ने 50, 500 और 1000 रुपए के नए नेपाली नोट (China Nepal Banknotes) छापने का पूरा ठेका चीन की सरकारी कंपनी चाइना बैंक नोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (Nepal Currency Map Dispute) को दे दिया है। डिजाइन तैयार करने, छापने और नेपाल तक पहुंचाने की सारी जिम्मेदारी अब इसी चीनी कंपनी पर है। ठेके के मुताबिक, सिर्फ नौ महीने में सारा काम पूरा हो जाना चाहिए। सबसे कम बोली लगाने की वजह से इस कंपनी का चयन किया गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है – पहले भी यही कंपनी नेपाल के 5, 50, 100 और 500 रुपए के नोट छाप चुकी है। खास बात यह है कि 1000 रुपए के नोट (Nepal New 1000 Rupee Note) के लिए 43 मिलियन नेपाली रुपए का लेटर ऑफ इंटेंट भी जारी कर दिया गया है। नए 1000 रुपए के नोट में नेपाल का राष्ट्रीय फूल लालीगुराँस की सात अलग-अलग तस्वीरें इसकी खासियत होंगी। ये सात फूल सात प्रांतों के प्रतीक होंगे। नोट पर मौजूदा गवर्नर प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ पौडेल के हस्ताक्षर भी होंगे।
बैंक के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही ये नोट बाजार में दिखने लगेंगे। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इन नोटों पर नेपाल का वही संशोधित नक्शा होगा जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि ये तीनों इलाके महाकाली नदी के पूर्वी हिस्से में आते हैं और भारत इन्हें अपना बताता रहा है। नेपाल का दावा है कि 1816 की सुगौली संधि के मुताबिक ये तीनों स्थान उसके हैं।
सन 2020 में केपी शर्मा ओली की सरकार ने संसद से नया नक्शा पास करवा संविधान में शामिल कर लिया था। उस वक्त भारत ने इसे एकतरफा और गलत कदम बताया था। अब जब यह नक्शा नोटों पर भी छपने जा रहा है तो पुराना विवाद फिर से सुलग उठा है। नेपाल के अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो साल से 1 और 2 रुपए के सिक्कों पर और हाल ही में जारी 100 रुपए के नए नोट पर भी यही नक्शा छपा हुआ है। यानी नेपाल अपने रुख पर पूरी तरह अड़ा हुआ है।
चीन को दिए गए इस ठेके से साफ दिख रहा है कि नेपाल-चीन के रिश्ते कितने मजबूत हो रहे हैं। आर्थिक मोर्चे पर चीन का दबदबा बढ़ रहा है। लेकिन भारत के लिए यह चिंता की बात है। जानकार मानते हैं कि नोटों पर विवादित नक्शा छपने से मामला और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकता है। नेपाल सरकार का कहना है कि यह राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान का सवाल है। दूसरी तरफ भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में हलचल जरूर तेज हो गई है।
गौरतलब है कि हिमालय की इन ऊंची चोटियों के नीचे सीमा और संस्कृति का ऐसा मेल है जो कभी-कभी छोटी चिंगारी से भी बड़ा तूफान खड़ा हो सकता है। नेपाल का यह कदम न सिर्फ नोटों की छपाई का फैसला है, बल्कि एक पुराने दर्द को फिर से जगाने जैसा भी है। अब देखना यह है कि भारत कैसे जवाब देता है और दोनों देशों के बीच बातचीत का रास्ता कितनी जल्दी खुलता है।
Updated on:
01 Dec 2025 09:15 pm
Published on:
01 Dec 2025 08:38 pm
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