
चीन से सुरक्षा के लिए ताइवान ने बनाया टी-डोम। (प्रतीकात्मक फोटो: एआई जनरेटेड.)
T-Dome Taiwan India: चीन के किसी भी हमले को नाकाम करने के लिए (T-Dome vs China) ताइवान ने 40 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 3.4 लाख करोड़ रुपये) का अतिरिक्त रक्षा बजट पास कर दिया है। इस राशि का सबसे बड़ा हिस्सा ‘टी-डोम’ (T-Dome Taiwan India) नाम की सुपर एयर डिफेंस सिस्टम (Taiwan 40 billion defense) पर खर्च होगा, जिससे चीन की मिसाइलें, लड़ाकू विमान और ड्रोन आसमान में ही ध्वस्त हो जाएंगे। भारत भी इस तकनीक पर करीब से नजर रखे हुए है, क्योंकि हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर भी यही खतरा मंडरा रहा है।
ताइवान का ‘T-Dome’ इज़रायल के ‘आयरन डोम’ से प्रेरित है, लेकिन यह उससे कहीं ज्यादा ताकतवर होगा। इसमें कई लेयर वाली डिफेंस मिसाइलें होंगी – पैट्रियट PAC-3, ताइवान की स्वदेशी स्काई बाउ, टियन कुंग-3 और जल्द आने वाली अमेरिकी NASAMS सिस्टम। खास बात यह है कि सब एक ही कमांड सेंटर से जुड़कर काम करेंगे। जैसे ही रडार दुश्मन की मिसाइल पकड़ेगा, कुछ सेकंड में जवाबी मिसाइल दागी जाएगी। रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि यह सिस्टम चीन के पहले तीन मिनट के मिसाइल हमले को 80-90% तक नाकाम कर सकता है।
ताइवान के रक्षा मंत्री वेलिंगटन कू ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि चीन को लगे -ताइवान पर हमला करना बहुत महंगा पड़ेगा।” भारत भी यही संदेश देना चाहता है। यही वजह है कि 2025-26 के बजट में भारत ने भी मिसाइल डिफेंस और ड्रोन-विरोधी सिस्टम के लिए बहुत अधिक फंड रखा है। ताइवान की तरह भारत भी अमेरिका, इज़रायल और अब ताइवान की तकनीक को मिलाकर अपना ‘इंडियन डोम’ तैयार करना चाहता है।
भारत के लिए यह खबर इसलिए खास है, क्योंकि हम भी ठीक वैसी ही मल्टी-लेयर एयर डिफेंस बना रहे हैं। हमारे पास पहले से S-400, आकाश-NG, बाराक-8 और प्रोजेक्ट कुशल (फेज-1 और फेज-2) चल रहा है। डीआरडीओ भी स्वदेशी लॉन्ग-रेंज SAM और क्विक रिएक्शन मिसाइलें विकसित कर रहा है। रक्षा सूत्रों के अनुसार ताइवान के T-Dome के कमांड-कंट्रोल सॉफ्टवेयर और सेंसर फ्यूजन तकनीक का भारत बहुत ध्यान से अध्ययन कर रहा है। संभव है कि आने वाले वर्षों में भारत-ताइवान के बीच रक्षा तकनीक के क्षेत्र में गुप्त सहयोग बढ़े।
यूक्रेन युद्ध ने साबित कर दिया कि मजबूत एयर डिफेंस के बिना कोई देश नहीं बच सकता। ताइवान हो या भारत – दोनों ही छोटे भौगोलिक क्षेत्र में बड़ी आबादी वाले देश हैं। अगर शहर में एक भी मिसाइल गिरी तो बहुत अधिक नुकसान होगा। इसलिए ताइवान का T-Dome सिर्फ ताइपे नहीं, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लिए भी सबक है।
बहरहाल, अगले आठ वर्षों में ताइवान अपना पूरा आसमान किले में बदल देगा। इस तकनीक में भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता। आने वाले समय में हिंद महासागर और हिमालय की चोटियों पर भी वैसी ही अजेय सुरक्षा कवच दिखाई देगा, जो आज ताइवान में तैयार हो रहा है।
Updated on:
30 Nov 2025 04:36 pm
Published on:
30 Nov 2025 04:35 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
