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पाकिस्तानी कैद में बंद प्रसन्नजीत रंगारी के वतन वापसी का रास्ता हो रहा साफ

पूर्व जिपं सदस्य विक्रम देशमुख के पत्राचार का इस्लामाबाद से ईमेल के माध्यम से आया जवाब

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पूर्व जिपं सदस्य विक्रम देशमुख के पत्राचार का इस्लामाबाद से ईमेल के माध्यम से आया जवाब

पूर्व जिपं सदस्य विक्रम देशमुख के पत्राचार का इस्लामाबाद से ईमेल के माध्यम से आया जवाब

मानसिक संतुलन बिगडऩे से भटककर पाकिस्तान पहुंचे जिले के खैरलांजी जनपद क्षेत्र निवासी प्रसन्नजीत रंगारी के वतन वापसी का रास्ता साफ होते नजर आ रहा है। क्षेत्र के पूर्व जिला पंचायत सदस्य विक्रय देशमुख के पत्र व्यवहार का उन्हें पाकिस्तान से ईमेल के माध्यम से जवाब आया है। इसके बाद से परिजनों में प्रसन्नजीत के वापसी की उम्मीदें बढ़ गई है।

विक्रम देशमुख के अनुसार उन्होंने दिसंबर 2023 में ग्राम महकेपार पहुंचकर लापता प्रसन्नजीत की बहन संघमित्रा से मुलाक़ात कर उनके दावों को समझा और दस्तावेज देख थे। वर्ष 2024 में विदेश मंत्रालय भारत सरकार से संचालित मदद पोर्टल पर लापता प्रसन्नजीत की भारत वापसी हेतु शिकायत दर्ज कराई थी। 10 सितंबर 2025 को भारतीय उच्चायोग इस्लामाबाद पाकिस्तान से ईमेल के माध्यम से उन्हें सूचना दी गई कि प्रसन्नजीत रंगारी पाकिस्तान के लाहौर स्थित पंजाब इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में सुनील अद्यय के नाम से उपचार ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय उच्चायोग पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से प्रसन्नजीत की शीघ्र रिहाई और भारत प्रत्यावर्तन (वापसी) के लिए निरंतर बातचीत कर रहा है। अभी हाल ही में 2 सितंबर 2025 को प्रसन्नजीत की रिहाई का मुद्दा पाकिस्तानी पक्ष के समक्ष उठाया गया था।

कैसे गायब हुआ प्रसन्नजीत

प्रसन्नजीत की बहन संघमित्रा बताती हैं कि उनका परिवार जिले के खैरलांजी का रहने वाला है। उनका भाई प्रसन्नजीत रंगारी पढ़ाई में तेज था और इसी वजह से उनके पिता ने कर्ज लेकर जबलपुर के खालसा कॉलेज में पढ़ाई के लिए भेजा था। पढ़ाई पूरी कर साल 2011 एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में उसने अपना रजिस्ट्रेशन भी कराया, लेकिन अचानक ही उसकी मानसिक स्थिति खराब होने लगी और वह घर छोडकऱ भाग गया था। इसके बाद करीब 8 माह महीने बिहार में रहकर फिर घर लौटा, लेकिन एक साल बाद जब वो फिर गायब हुआ, तो कभी नहीं लौटा है।

कैसे पहुंचा पाकिस्तान

संघमित्रा के अनुसार दिसंबर 2021 में अचानक उनके लिए फोन आया था। उन्हें पता चला कि उनका भाई प्रसन्नजीत पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद है। यह बात सुनकर वह स्तब्ध थी। ये फोन किसी कुलदीप सिंह ने उन्हें किया था जो लगभग दो दशक पाकिस्तान की जेल में बंद रहकर बाहर आया था। कुलदीप ने ही बताया था कि प्रसन्नजीत भी वहां बंद है। तब से लेकर अब तक बहन संघमित्रा अपने भाई को छुड़वाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है।

इनका कहना है।

ई मेल से भारतीय नागरिक प्रसन्नजीत के पाकिस्तान में जीवित अवस्था में क़ैद रहने केएपरिजनों के दावे की पुष्टि होती है। संभवत: अब पाकिस्तानी कैद में बंद प्रसन्नजीत की रिहाई का रास्ता साफ होता दिखाई पड़ रहा है।
विक्रय देशमुख, पूर्व जिपं सदस्य बालाघाट