3 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

स्कूल-कॉलेजों से NCC गायब: 1070 KM लंबा है भारत-पाक बॉर्डर, फिर भी राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में 95% युवा प्रशिक्षण से दूर

Rajasthan News: राजस्थान में 1070 किमी लंबी भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों का सबसे मजबूत सहारा यहां का जागरूक और समर्पित युवा हैं। वे NCC के माध्यम से प्रशिक्षित होकर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

3 min read
Google source verification
NCC

कैम्प के दौरान शूटिंग का अभ्यास करते कैडेट (फोटो: पत्रिका)

NCC In School-College: जब भी देश पर कोई संकट आता है, सबसे पहले राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर चौकसी बढ़ा दी जाती है। 1965 और 1971 के युद्ध हो, ऑपरेशन सिंदूर या हाल ही में दिल्ली में हुआ आतंकी हमला। हर बार इस सीमा ने अपनी सामरिक क्षमता साबित की। किसी भी राष्ट्रीय चुनौती के समय जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर सबसे पहले अलर्ट पर आ जाते हैं। 1070 किमी लंबी भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों का सबसे मजबूत सहारा यहां का जागरूक और समर्पित युवा हैं। वे एनसीसी के माध्यम से प्रशिक्षित होकर विशेष परिस्थिति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

बाड़मेर-बालोतर क्षेत्र में करीब 27 सरकारी और निजी कॉलेज हैं। इनमें से केवल पांच में एनसीसी है। वहीं, करीब एक हजार से ज्यादा स्कूल हैं, मगर 50 से कम स्कूलों में एनसीसी है।

जैसलमेर में करीब दस कॉलेज हैं और केवल चार में एनसीसी है। करीब 340 हायर सेकेंडरी स्कूल हैं और मात्र आठ में एनसीसी है। यानी 95% से ज्यादा युवा इस प्रशिक्षण से बाहर हैं। परिणामस्वरूप सीमा सुरक्षा के लिहाज से जिस फील्ड-रेडी युवा बल की दरकार है, वह तैयार ही नहीं हो पा रहा।

इतिहास बताता है पश्चिमी सीमा निर्णायक रही

1965 और 1971 के युद्धों में राजस्थान की पश्चिमी सीमा ने सामरिक भूमिका निभाई। रेत के समंदर में टिके पोस्ट, सप्लाई लाइन और लोकल सपोर्ट के बिना कोई ऑपरेशन सफल नहीं होता। संकट के वक्त स्थानीय युवाओं की भागीदारी, सिविल सपोर्ट और बेसिक ट्रेनिंग निर्णायक साबित होती है। और यही भूमिका एनसीसी निभा सकती है।

अब नीति में बदलाव जरूरी

एक्सपर्ट का मानना है कि सीमावर्ती जिलों में एनसीसी को प्राथमिकता सूची में रखना होगा। स्टाफ स्वीकृति, इंफ्रास्ट्रक्चर, बजट और टार्गेट-आधारित विस्तार करना होगा। हर ब्लॉक में कम से कम एक कॉलेज और एक स्कूल में एनसीसी विंग अनिवार्य हो।

एक्सपर्ट व्यू: युद्धकाल के लिए तैयार करती है

देश के बॉर्डर एरिया के स्कूलों में एनसीसी को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि युद्धकाल हो या कोई देश में कोई इमरजेंसी। इन हालात में हमारे बॉर्डर एरिया सबसे संवेदनशील होते हैं। इसलिए इन क्षेत्रों के युवाओं को ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार करने में एनसीसी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके अलावा, एनसीसी युवाओं को अनुशासन सिखाती है, राष्ट्रवाद की भावना जागृत करती है, आत्मविश्वास, टीम भावना और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाती है।

मनोज कुमार मागो, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल

एनसीसी क्यों जरूरी है…

फील्ड स्किल्स: मैप रीडिंग, बेसिक ड्रिल, फर्स्ट एड, आपदा प्रबंधन, आपात स्थिति में तुरंत काम आने वाली दक्षता तैयार करना।

डिसिप्लिन-लीडरशिप: सीमावर्ती गांवों में नेतृत्व के लिए युवाओं को तैयार करना।

फोर्स में भर्ती का मजबूत पुल: सेना, बीएसएफ और अर्धसैनिक बलों में करियर की तैयारी ग्राउंड जीरो से हो सकती है।

आपदा में पहली राहत: बाढ़, सूखा, हादसों में एनसीसी के प्रशिक्षित कैडेट सबसे ज्यादा मददगार साबित हो सकते हैं।

सुरक्षा संस्कृति: सीमा से सटे गांव-गांव में राष्ट्रभाव और सुरक्षा, चौकसी की आदत विकसित होगी।