
फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan : भरतपुर के महाराज सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। 9 बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं, लेकिन कार्रवाई का पन्ना अब तक खाली है। निलंबन और एफआइआर के आदेश कागजों में कैद हैं। एक आरोपी कार्यालय कक्ष पर ताला लगाकर गायब है और सिस्टम जिम्मेदारी से मुंह मोड़े बैठा है। ऐसे में दो लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य सवालों के घेरे में है।
भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पूर्व कुलपति रमेश चंद्र के बर्खास्त होने के बाद माना जा रहा था कि विश्वविद्यालय की कार्यशैली पटरी पर आएगी, लेकिन हालात चिंताजनक बने हुए हैं। करीब 15 दिन पहले राजभवन (लोकभवन) की ओर से उप कुलसचिव डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय, सहायक कुलसचिव प्रशांत कुमार और परीक्षा नियंत्रक फरवट सिंह को निलंबित करने, एफआइआर दर्ज कराने और वित्तीय वसूली के आदेश जारी किए। इस आदेश की पालना नहीं की गई।
विश्वविद्यालय की बिगड़ी व्यवस्था को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने चार कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा, लेकिन यह भी मजाक बन गया। एक कर्मचारी ने ज्वॉइन तक नहीं किया और एक ज्वॉइन करते ही छुट्टी चले गए।
गत 21 नवंबर को हुई बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में पूरे मामले की जांच के लिए विधायक बहादुर सिंह कोली की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई। कमेटी को विश्वविद्यालय में हुए सभी वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं की तथ्यात्मक और विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर बोर्ड के सामने पेश करनी है।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे सहायक कुलसचिव प्रशांत कुमार ने अपने चैंबर का ताला तक नहीं खोला है। दफ्तर में फाइलें अटकी हैं, इस संबंध में कुलसचिव सी.एस जोरवाल का कहना है कि अगर प्रतिनियुक्ति वाले कर्मचारी बैठना चाहेंगे तो सहायक कुलसचिव का चैंबर खुलवा देंगे।
बृज विश्वविद्यालय के अधीन भरतपुर और धौलपुर जिलों के 183 कॉलेज आते हैं, जिनमें लगभग दो लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। वर्तमान समय परीक्षाओं, मूल्यांकन और प्रवेश से जुड़ी गतिविधियों का सबसे महत्वपूर्ण समय है। लेकिन विश्वविद्यालय के चैंबर बंद होने, अधिकारियों के अनुपस्थित रहने से कामकाज नहीं हो रहा है।
1- विश्वविद्यालय से 25 लाख रुपए नकदी गायब कर दी गई। इस प्रकरण में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
2- चार वॉच टॉवर लगाने का काम 2.5 लाख में होना था, लेकिन भुगतान 9.5 लाख किया गया।
3- 9 करोड़ रुपए का फर्नीचर घोटाला : महंगे पर्दे, कुर्सियां, डाइनिंग टेबल जैसा सामान क्रय किया गया। करोड़ों रुपए के फर्नीचर का न तो रिकॉर्ड है, न ही सामग्री दिखाई देती है।
4- 12 करोड़ की केमिस्ट्री लैब घोटाला : जो सामान बताया गया था, वह दिखाई ही नहीं दिया। घटिया स्तर की वालिटी का सामान खरीदा गया।
5- 11.5 करोड़ की पुस्तक खरीद अनियमितता : ऐसी किताबें खरीदी गईं, जिनका छात्रों से कोई लेना-देना नहीं था।
6- उत्तर पुस्तिका घोटाला : 1.5 करोड़, घटिया वालिटी की कॉपियों पर बड़ी रकम का भुगतान।
7- संविदा भर्ती घोटाला : 14 शिक्षकों को योग्यता के विपरीत नियुक्ति दी गई। नियमों को ताक में रखकर 65 वर्ष से अधिक आयु के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दोबारा नौकरी दी गई।
8- पीएचडी प्रवेश घोटाला : 50 से अधिक छात्रों को बिना गाइड उपलब्ध कराए प्रवेश दे दिया गया। फीस भी ली गई, पर कोर्स पूरा नहीं हो पाया।
Updated on:
04 Dec 2025 02:16 pm
Published on:
04 Dec 2025 02:15 pm
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