Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पहले यूनिट टेस्ट विवाद: शिक्षकों के विरोध पर आदेश वापस

भीलवाड़ा में गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम के तहत यूनिट टेस्ट के आदेश से बढ़ा शिक्षकों का रोष, दोपहर बाद हुआ स्थगन

2 min read
Google source verification
Unit test controversy before half-yearly exams: Order withdrawn after teachers protest

Unit test controversy before half-yearly exams: Order withdrawn after teachers protest

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के निर्देशानुसार प्रदेशभर में कक्षा 10वीं व 12वीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं 20 नवंबर से शुरू होनी हैं। लेकिन इसी बीच भीलवाड़ा जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) मुख्यालय की ओर से जारी एक आदेश ने शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों की मुश्किलें बढ़ा दीं। आदेश के तहत 10 से 15 नवंबर तक सभी विद्यालयों में गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम के तहत द्वितीय यूनिट टेस्ट आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे। इससे शिक्षकों में असंतोष फैल गया और विरोध के बाद रविवार को ही आदेश वापस लेना पड़ा।

नया आदेश: टेस्ट स्थगित, प्रश्नपत्र घर पर अभ्यास के लिए

शिक्षकों के विरोध के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय) राजेन्द्र कुमार गग्गड़ ने नया आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया है कि द्वितीय यूनिट टेस्ट को स्थगित किया जाता है, लेकिन संस्था प्रधान यह सुनिश्चित करें कि प्रश्नपत्र विद्यार्थियों को वितरित कर दिए जाएं ताकि छात्र घर पर अभ्यास कर सकें।

क्या है गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम

भीलवाड़ा जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से शुरू किया गया यह कार्यक्रम जिले में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने और बोर्ड परीक्षा परिणामों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। प्रत्येक यूनिट टेस्ट की अवधि 1 घंटा 20 मिनट (दो पीरियड) रखी गई है। टेस्ट 30 अंकों का होगा। वहीं प्री-बोर्ड परीक्षा 3 घंटे 15 मिनट की प्रस्तावित है। यह यूनिट टेस्ट 10 से 15 नवंबर तक सभी विद्यालयों में आयोजित किया जाना था, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है।

शिक्षकों में नाराजगी, आदेश को बताया अव्यवहारिक

राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश अध्यक्ष नीरज शर्मा ने बताया कि इस आदेश से शिक्षकों में भारी असंतोष देखा गया। शिक्षकों का कहना है कि मध्यावधि अवकाश के बाद स्कूल 25 अक्टूबर को खुले और दूसरा परख 28 अक्टूबर तक आयोजित हुआ। अब 20 नवंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षा प्रस्तावित है। ऐसे में फिर से यूनिट टेस्ट कराना अव्यवहारिक और अतिरिक्त बोझ है। उन्होंने कहा कि शिक्षक पहले से ही अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी व कोर्स पूरा कराने में जुटे हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर यूनिट टेस्ट लेना छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए कठिनाई बढ़ाने वाला कदम है।

टेस्ट बाध्यकारी नहीं, केवल मूल्यांकन के लिए

इस मामले में जब राजस्थान पत्रिका ने जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र कुमार गग्गड़ से बात की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम के तहत यूनिट टेस्ट लेना किसी विद्यालय के लिए बाध्यकारी नहीं है। इसका उद्देश्य केवल विद्यार्थियों की तैयारी और अध्ययन स्तर का मूल्यांकन करना है। हालांकि, शिक्षकों की आपत्तियों को देखते हुए दोपहर बाद नया आदेश जारी कर टेस्ट स्थगित कर दिया गया और संस्था प्रमुखों को केवल प्रश्नपत्र वितरित करने के निर्देश दिए गए।

चर्चा का विषय बना आदेश

भीलवाड़ा का यह आदेश अब चर्चा का विषय बन गया है। शिक्षकों का कहना है कि यदि परीक्षा कार्यक्रम और मूल्यांकन योजनाएं पूर्वनिर्धारित समयानुसार जारी हों, तो न केवल शिक्षकों का शैक्षणिक दबाव घटेगा, बल्कि विद्यार्थियों की तैयारी भी बेहतर होगी।