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दिव्यांगों को उद्योग में पांच प्रतिशत रोजगार का नियम, पालना कौन कराएगा

दिव्यांगों की बैशाखी बनने के लिए नहीं कोई तैयार, एक बार उठा मुद्दा फिर दबकर रह गया

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भिवाड़ी. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत औद्योगिक इकाइयों में पांच प्रतिशत नौकरी देनी होती है। उद्योग क्षेत्र में उक्त अधिनियम की पालना नहीं हो रही है। इसको लेकर जिला उद्योग केंद्र ने कई बार औद्योगिक संगठन और इकाइयों से उक्त अधिनियम के तहत दिए जाने वाली नौकरियां का आंकड़ा मांगा है। औद्योगिक संगठन और इकाई इसका ब्यौरा नहीं देती। संबंधित अधिकारी भी इस अधिनियम की पालना करने में विफल साबित हुए हैं। इस अधिनियम की पालना होने पर हजारों दिव्यांगों को नौकरी का अवसर मिलेगा। भिवाड़ी में पांच हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें उक्त अधिनियम के तहत नौकरी मिलने पर हजारों बेरोजगार दिव्यांगों की पीड़ा दूर हो सकती है। कलक्टर डॉ. जितेंद्र सोनी ने 15 मार्च 2023 को हुई एक बैठक में उक्त अधिनियम की पालना करने के निर्देश दिए थे। उक्त बैठक के बाद दो तीन अन्य मीटिंग में भी कलक्टर ने अधिनियम की पालना के लिए सख्ती बरती, जिससे औद्योगिक संघ में भी हलचल दिखी। दो महीने के बाद कलक्टर का तबादला होने के बाद इस अधिनियम के तहत दिव्यांगों को मिलने वाला लाभ फाइलों में ही दबकर रह गया। संबंधित विभागों ने इस संबंध में कोई पहल नहीं की। भिवाड़ी, कहरानी, चौपानकी, पथरेड़ी, खुशखेड़ा, कारोली, सलारपुर, नीमराणा, बहरोड और घिलोट औद्योगिक क्षेत्र में करीब चार से पांच लाख कर्मचारी काम करते हैं। भिवाड़ी में ही करीब सवा दो लाख श्रमिक ईएसआईसी में पंजीकृत हैं। अधिनियम के तहत पांच प्रतिशत दिव्यांगों को रोजगार देने का प्रावधान है। इस हिसाब से क्षेत्र में करीब 20 हजार दिव्यांगों को रोजगार का अवसर मिल सकता है। अधिनियम की पालना को लेकर भी कोई रिकॉर्ड तैयार नहीं है। एक बार के बाद किसी अन्य उच्चाधिकारी ने इस अधिनियम की पालना को लेकर रुचि नहीं दिखाई। रीको को फैक्ट्रियों में कार्यरत दिव्यांगों की जानकारी जुटाने के लिए जिम्मेदारी दी गई। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी जिला उद्योग केंद्र को दी गई। रीको ने इस संबंध में औद्योगिक संघों को पत्र लिखे हैं। औद्योगिक संघ और इकाइयों ने अभी तक डाटा नहीं दिया है।