
मछली परिवार को हाईकोर्ट से हड़ी राहत (Photo Source- Patrika)
Machli Family Case : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी भोपाल के 'मछली' पारिवार के परिजन को बड़ी राहत दी है। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आदेश देते हुए कहा कि, परिवार के फ्रीज किए गए बैंक खातों को तत्काल डिफ्रीज किया जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि, याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं है। ऐसे में परिवार के मकानों को ढहाने की जो कार्रवाई की गई है, उसपर भी प्रदेश सरकार से विस्तृत जवाब देने को कहा है।
हालांकि, पुलिस जांच में याचिकाकर्ता के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री पाई जाने पर पुलिस कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। सिंगल बेंच ने सुरक्षित रखे फैसले को सार्वजनिक करते हुए उक्त निर्देश दिए हैं।
दरअसल, राजधानी भोपाल में ड्रग्स केस में पकड़ाए यासीन अहमद उर्फ मछली के परिवारिक सदस्यों की तरफ से याचिका दायर की गई थी। इसमें उन्होंने मकानों को तोड़ने की कार्रवाई, बैंक खाते फ्रीज करना, हथियारों के लाइसेंस कैंसिल करने के साथ साथ उनके ई-मेल ब्लॉक करने जैसी कार्रवाई को चुनौती दी थी। इसपर हाईकोर्ट ने परिवार के सदस्यों को राहत देते हुए राज्य सरकार से इस मामले पर विस्तृत स्पष्टिकरण मांगा है।
मछली परिवार की ओर से कोर्ट में लगाई गई याचिका के जरिए आरोप लगाया कि, उन्हें निशाना बनाते हुए कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिला और पुलिस प्रशासन ने सिर्फ उनकी संपत्तियों को ध्वस्त किया है, जबकि उनपर कोई भी क्रिमिनल केस नहीं दर्ज है। उनके बैंक खाते फ्रीज कर दिए। यहां तक की शस्त्र लाइसेंस भी निलंबित कर दिए।
हाईकोर्ट के जज विशाल मिश्रा की बेंच ने याचिका की सुनवाई करते 26 सितंबर को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और क्राइम ब्रांच के डीसीपी अखिल पटेल को गवाही के लिए बुलाया था। तब दोनों ने व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर कर स्वीकार किया था कि, याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है। ऐसे में उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। हालांकि आरोपी के खाते से पिटीशनर के अकाउंट में एक बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन की जांच पेंडिंग है।
याचिकाकर्ता साजिदा बी और अन्य परिवारजन के अनुसार, वे किसी आपराधिक प्रकरण में आरोपी नहीं, फिर भी 21 अगस्त 2025 को प्रशासन ने बिना नोटिस दिए उनकी संपत्ति ध्वस्त कर दी और बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। इसपर हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा बिना किसी अपराध या अभियोग के घरों को गिराना, बैंक खाते सीज करना या लाइसेंस निलंबित करना नागरिक के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।
दूसरी तरफ सरकार के वकील ने तर्क दिया कि, संदिग्ध लेनदेन होने पर खातों को फ्रीज करने का प्रावधान है। उन्होंने आगे कहा कि, याचिकाकर्ताओं में सभी के बैंक खाते फ्रीज नहीं किए हैं। इसपर पिटीशनर की तरफ से तर्क दिया गया कि जिस संदिग्ध लेनदेन की बात की जा रही है, उसपर नियमानुसार टीडीएस का भुगतान हुआ है। उक्त याचिकाकर्ता पार्टनर था, इसलिए उसके खाते में लेनदेन हुआ है।
कई बार की सुनवाईयों के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने परिवार के बैंक खाते डिफ्रीज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि, याचिकाकर्ता अगर आरबीआई के नियमों के अनुसार बैंक खातों से ट्रांजेक्शन करता है तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
Published on:
09 Oct 2025 11:42 am
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