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बादलिया बाग की रियासतकालीन बावड़ी भी तालाब में समाई

दो दिन की बरसात में शहर के बादलिया बाग की रियासतकालीन बावड़ी भी तालाब में समा गई। जीर्ण-शीर्ण होती जा रही बावड़ी की सुध नही लेने से मंगलवार को बावड़ी पारे व ढाणा सहित तालाब में समां गई।

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बादलिया बाग की रियासतकालीन बावड़ी भी तालाब में समाई

नैनवां. बादलिया बाग की पारा व ढाणा सहित तालाब में समाई बावड़ी जिसके निशान तक नही बचे।

नैनवां. दो दिन की बरसात में शहर के बादलिया बाग की रियासतकालीन बावड़ी भी तालाब में समा गई। जीर्ण-शीर्ण होती जा रही बावड़ी की सुध नही लेने से मंगलवार को बावड़ी पारे व ढाणा सहित तालाब में समां गई। साथ ही बादलिया बाग की दो तरफ की सुरक्षा दीवार भी तालाब में समा गई।
नैनवां को टाउन प्लानिंग के हिसाब से बसाने वालों ने शहर की सुंदरता के लिए तालाबों के बीच उद्यान के रूप में बादलिया बाग का भी निर्माण कराया था। उद्यान खाके के रूप में आज भी खड़ा है जो दूर से तो मोह रहा है, लेकिन अंदर जाकर देखो तो उजाड़ बने हुए है। बाग की दुर्दशा का दर्द पालिका बोर्ड की बैठकों में भी उठाया गया फिर किसी ने इसकी सुध नहीं ली। नवल सागर तालाब के अन्दर स्थित रियासतकालीन बादलियां बाग तो इतना मनोहारी है जो पानी के बीच टापू जैसा लगता है। नवलसागर तालाब की सुंदरता बढाने के लिए तालाब के बीच ही बादलिया बाग का निर्माण कराकर पिकनिक स्थल का रूप दिया था।

सुरक्षा के लिए पक्की चारदीवारी का निर्माण कराया था। दो तरफ से चारदीवारी का बड़ा हिस्सा भी तालाब में समा गया। बाग में कई प्रकार के छाया, फूल व फलदार वृक्षों से सरसब्ज किया था। अन्दर फूलवारी के लिए अलग अलग जोन व क्यारियां बनी हुई हैं, क्यारियों तक पानी पहुंचाने के लिए पक्के धोरे बने हुए हैं। पानी के लिए बावड़ी थी जो भी ढहकर तालाब में समा गई।
इसी तरह कनक सागर तालाब के किनारे भी बगीची का निर्माण हुआ था जिसे आज भी बागरियो की बगीची के नाम से जाना जाता है। जो भी उजड़ जाने से खाका बनकर रह गया। जो भी तालाब की डूब में आया हुआ है। कनकसागर के किनारे स्थित द्वारिकाधीश बगीची को कुछ लोगों ने हर्बल पार्क के रूप में विकसित करने के लिए कई प्रकार के पौधे लगाए थे। हर्बल पार्क को संरक्षण नहीं मिल पाया। पार्क की दीवार टूट गई। जिससे मरम्मत नहीं हो पाई। हर्बल पार्क से बागरियों की बगीची के बीच को सुरक्षा दीवार बनाकर पार्क के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू किया जिसे भी अधूरा ही छोड़ दिया। तालाब के लबालब होने से द्वरिकाधीश व बागरियों की बगीची पानी में डूबी हुई है। कनकसागर के किनारे स्थित रियासतकालीन बावडी पूर्व में ही तालाब में समा चुकी।


इसकी भी नही ली सुध
इससे पूर्व 23 अगस्त को एक ही दिन में हुई बीस इंच बरसात से नवलसागर के किनारे स्थित कंवरजी की छतरियों पर स्थित गणेश मंदिर की तालाब में समाई सुरक्षा दीवार की सुध नहीं लेने से अब गणेश मंदिर परिसर में खतरा बना हुआ है। सुरक्षा दीवार के तालाब में समाने से परिसर नीचे से खोखला हो रहा है।