
आयकर विभाग ने ऐसे टैक्सपेयर को खबरदार किया है जिन्होंने 87ए के तहत छूट ली है। (फोटो : फ्री पिक)
म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने वाले लोगों को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बड़ी राहत दी है। CBDT ने उन मामलों में ब्याज माफ करने का ऐलान किया है, जहां आयकर रिटर्न (ITR) में करदाताओं ने सेक्शन 87A के तहत टैक्स छूट का दावा किया था, लेकिन बाद में उसे गलत पाया गया। यह राहत खास तौर पर उन टैक्स डिमांड नोटिसों से जुड़ी है, जो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) जैसी स्पेशल रेट इनकम पर सेक्शन 87A की छूट लेने वालों को भेजे गए हैं।
नए टैक्स रिजीम में सेक्शन 87A के तहत 7 लाख रुपये तक की आय पर अधिकतम 25,000 रुपये तक की छूट उपलब्ध है। हालांकि, इस छूट को लेकर हमेशा भ्रम रहा कि क्या इसे स्पेशल रेट इनकम पर भी लागू किया जा सकता है। स्पेशल रेट इनकम इक्विटी म्यूचुअल फंड और शेयरों से मिलने वाला लॉन्ग-टर्म या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन से जुड़ी है। इसमें सामान्य स्लैब दरों से अलग दरों पर टैक्स कैलकुलेट होता है।
आयकर विभाग ने जुलाई 2025 के बाद से ITR यूटिलिटी में बदलाव कर दिया है और सेक्शन 87A की छूट को स्पेशल रेट इनकम से बाहर कर दिया। लेकिन इससे पहले कई करदाताओं ने ITR दाखिल करते समय इस छूट का फायदा ले लिया था। अब इन मामलों में रिटर्न की रेक्टिफिकेशन प्रोसेस पूरा होने के बाद टैक्स डिमांड नोटिस जारी किए गए हैं।
कई करदाताओं को उम्मीद थी कि हाल के अदालती फैसलों के बाद विभाग उन लोगों को राहत देगा जिनकी कुल आय 7 लाख रुपये से कम है, भले ही उसमें कैपिटल गेन जैसी स्पेशल इनकम शामिल हो। लेकिन CBDT ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि सेक्शन 87A की छूट केवल नॉर्मल इनकम पर ही लागू होगी, न कि स्पेशल रेट इनकम पर।
CBDT ने अपने सर्कुलर में कहा है कि सेक्शन 115BAC(1A) के तहत स्पेशल रेट इनकम को स्लैब बेस्ड टैक्स कैलकुलेशन में शामिल नहीं किया जाता। इसलिए उस पर सेक्शन 87A की छूट नहीं मिल सकती। इस वजह से जिन मामलों में रिटर्न पहले ही प्रोसेस हो चुका था और गलती से छूट दे दी गई थी, अब उसका रेक्टिफिकेशन किया जाएगा। इससे टैक्स डिमांड बनेगी। लेकिन करदाताओं की दिक्कत को देखते हुए CBDT ने आदेश दिया है कि अगर करदाता 31 दिसंबर 2025 तक डिमांड की रकम चुका देते हैं तो उन पर सेक्शन 220(2) के तहत लगने वाला ब्याज पूरी तरह माफ कर दिया जाएगा।
CBDT ने साफ किया है कि अगर टैक्स पेयर 31 दिसंबर तक टैक्स डिमांड का पेमेंट नहीं करते हैं, तो 220(2) के तहत ब्याज उस दिन से लगना शुरू हो जाएगा जब टैक्स पेमेंट की डेडलाइन खत्म होगी। यानी, पेमेंट में देरी होने पर ब्याज का बोझ बढ़ेगा। इस आदेश से उन हजारों करदाताओं को राहत मिलेगी, जिन्हें हाल ही में डिमांड नोटिस मिले हैं। हालांकि, उन्हें यह समझना होगा कि सेक्शन 87A का फायदा केवल नॉर्मल इनकम तक ही सीमित है। स्पेशल इनकम पर यह छूट अब पूरी तरह खत्म हो गई है।
Published on:
24 Sept 2025 12:31 pm
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