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कार्तिक पूर्णिमा कल , देवालयों में मनेगी देव दीपावली

बंदना कुमारी बेंगलूरु. कार्तिक पूर्णिमा को पंचांग की सबसे पवित्र तिथि माना जाता है। इस बार बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। नदी, तालाबों में स्नान करने के बाद दान-पुण्य करेंगे। देवालयों में देव दीपावली मनाई जाएगी ।माना जाता है कि इस दिन दान-स्नान करने वालों पर भगवान की विशेष कृपा […]

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बंदना कुमारी

बेंगलूरु. कार्तिक पूर्णिमा को पंचांग की सबसे पवित्र तिथि माना जाता है। इस बार बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। नदी, तालाबों में स्नान करने के बाद दान-पुण्य करेंगे। देवालयों में देव दीपावली मनाई जाएगी ।माना जाता है कि इस दिन दान-स्नान करने वालों पर भगवान की विशेष कृपा रहती है। ऐसा कहते हैं कि देव दिवाली पर देव लोक से देवी-देवता धरती पर दिवाली मनाने आते हैं। इस दिन लक्ष्मी नारायण और भगवान शिव की पूजा का भी विधान है। पंडित कमलेश तिवारी और पंडित मंगलानंद मिश्रा ने बताया कि मंगलवार को रात 10 : 36 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन बुधवार को शाम 6:48 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि को मानते हुए बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसी दिन स्नान - दान पुण्य करना उचित होगा। सामा-चकेवा का विसर्जन इसी दिन किया जाएगा।

पूर्णिमा को देवता मनाते दीपावली

पंडितों ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली को देवताओं के दीपावाली के उत्सव के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के अंत की खुशी में देवताओं ने संपूर्ण स्वर्गलोक को दीयों से प्रकाशित किया था, जिसे दीपावली का रूप दे दिया गया। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

काशी घाट पर आते देव

पंडित तेजप्रकाश दवे ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि देव दीपावली पर देवी-देवता दीपावली मनाने स्वर्गलोक से पृथ्वी पर काशी के घाट पर आते हैं। बुधवार की शाम 6:49 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। उदया तिथि के कारण इस दिन पूर्णिमा मनाई जाएगी। बुधवार के दिन स्नान दान का विशेष मुहूर्त सुबह 4 :52 बजे से सुबह 5:45 बजे तक है। इसके अलावा सुबह 7:15 बजे से सुबह 9:15 बजे तक और सुबह 10:35 बजे से दोपहर 12 बजे तक का मुहूर्त है ।-

गुरु नानक जयंती पर मनेगा प्रकाशोत्सव

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को गुरु पर्व और प्रकाश उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भक्त गुरुद्वारों में जाते हैं और दीया जलाते हैं। लंगर सेवा करते हैं। गुरु नानक देव की शिक्षाओं का पाठ करते हैं। आतिशबाजी कर प्रकाशोत्सव मनाते हैं ।इस अवसर पर गुरु सिंह सभा अलसूर में प्रकाशोत्सव मनाया जाएगा। गुरुद्वारा के मैनेजर ऋषिपाल सिंह ने बताया कि गुरु नानक देव की 556वीं जयंती पर गुरुद्वारा सजाया जाएगा। पूरे दिन गुरुद्वारा में कार्यक्रम चलेगा। गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाएगा। अमृतसर के रागी जत्था भाई बलदेव सिंह भजनों की प्रस्तुति देंगे। गुरु नानक के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला जाएगा।