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कैश में कटौती और रेफर केस में क्लेश, संकट में ईएमटी व पायलट

अव्यवस्था की मार झेल रहे 108 एम्बुलेंस कर्मचारी, बढ़ते रेफर केस के भार और कैश में कटौती के क्लेश से तंग, राहत नहीं मिलने पर कार्य बहिष्कार की दी चेतावनी

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Cut in cash and trouble in referral cases, EMT and pilot in trouble

Cut in cash and trouble in referral cases, EMT and pilot in trouble

हनुमानगढ़. कोई दुर्घटना या अनहोनी होने पर शीघ्रता से मौके पर पहुंच राहत पहुंचाने वाले 108 एम्बुलेंस कर्मचारी खुद ही सिस्टम से आहत हैं। एम्बुलेंस के पायलट और ईएमटी नियमों की विसंगति में ऐसे उलझ गए हैं कि उनकी जीवन की गाड़ी पटरी से उतरी हुई है। बढ़ते रेफर केस के भार और कैश में कटौती के क्लेश से तंग एम्बुलेंस कर्मचारियों का सब्र शुक्रवार को जवाब दे गया। रेफर केस छोडकऱ लौटते समय हुई सडक़ दुर्घटना में एम्बुलेंस 108 के ईएमटी की मौत इसकी तत्कालिक वजह रही।
108 एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के बैनर तले ईएमटी व पायलट ने एम्बुलेंस ऑफ रोड कर सीएमएचओ कार्यालय के समक्ष धरना लगाकर रोष जताया। इस दौरान विभिन्न लोकेशन की एम्बुलेंस के पहिए थम गए। आक्रोशित एम्बुलेंस कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से सीएमएचओ कार्यालय में सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा, पीएमओ डॉ. शंकरलाल सोनी व संबंधित कंपनी के प्रतिनिधियों ने वार्ता की। कर्मचारियों ने सीएमएचओ को सीएम के नाम मांग पत्र भी सौंपा। इसमें मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होने पर कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई।

गुस्से का तत्कालिक कारण

जानकारी के अनुसार बीकानेर मरीज छोडकऱ हनुमानगढ़ लौट रही एम्बुलेंस 108 को बीकानेर जिले में भारतमाला रोड पर ट्रक ने टक्कर मार दी। हादसे में ईएमटी अमनदीप सिंह की मौत हो गई। एम्बुलेंस कार्मिकों ने कहा कि ट्रक मालिक राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल कर कानूनी कार्यवाही में रुकावटें खड़ी कर रहा है। चालक व मालिक पर शीघ्र कार्रवाई कर पीडि़त परिवार को न्याय दिया जाए। इसके अलावा राज्य सरकार की नीति के अनुसार ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर कर्मचारी के परिवार को 50 लाख रुपए की सहायता देने, उसे शहीद का दर्जा देने व एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की गई।

ऐसी है पीड़ा

एम्बुलेंस कर्मचारियों ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि जिला मुख्यालय पर सिर्फ तीन एम्बुलेंस ही है। जबकि रेफर केस की संख्या बहुत अधिक है। कई बार तो एक दिन में इतने रेफर केस होते हैं कि जिला मुख्यालय व आसपास कोई एम्बुलेंस नहीं होती। फिर जो रेफर केस लेकर जाते हैं, उनको करीब नौ घंटे में बीकानेर से वापस लौटना जरूरी है अन्यथा ईएमटी व पायलट से स्पष्टीकरण मांगा जाता है। ऐसे में निरंतर वाहन चलाना पड़ता है। भोजन आदि के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिलता। कार्मिकों को ओवरटाइम करना पड़ता है जिसका कोई पैसा भी नहीं मिलता। इसलिए जरूरी है कि जिला अस्पताल में सिर्फ रेफर केस के लिए अतिरिक्त एम्बुलेंस तैनात की जाए।

पेनल्टी की भरपाई कर्मचारी से

एम्बुलेंस कर्मचारी संघ का आरोप है कि कंपनी कर्मचारियों के वेतन से अनुचित कटौतियां करती है। सरकार जो कंपनी पर पेनल्टी लगाती है, उसकी भरपाई स्टाफ की सैलरी काटकर की जाती है। नेटवर्क समस्या के कारण कॉल नहीं आने पर भी कर्मचारियों के पैसे काट लिए जाते हैं। कंपनी जबरन एम्बुलेंस स्टाफ से ओवरटाइम कराती है। इसके बावजूद वेतन से हर महीने 2000 से 3000 रुपए की कटौती कर दी जाती है।

दस्तावेजों में कमी से अटके

दस्तावेजों में कमी के कारण एक प्रकरण में आर्थिक मदद में विलम्ब हुआ था। एक अन्य मामले में छह माह का समय मांगा था, तय समय में राशि दे दी जाएगी। ऑनलाइन अटेंड्स मार्किंग प्रोपर नहीं होने के कारण भुगतान में परेशानी होती है। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर ऑफलाइन अटेंड्स लगवाता हूं। रेफर केस में ओवरटाइम करने पर शिफ्टिंग की व्यवस्था की जाती है। अमनदीप के परिवार को कुल 15 लाख की मदद दी जाएगी। - अमित बेनीवाल, एरिया मैनेजर, जीवीके ईएमआरआई।

मौत के बाद भूले राहत

  • एम्बुलेंस कार्मिकों की माने तो इससे पहले ईएमटी दिलबाग की ड्यूटी के दौरान मौत हुई। तब प्रशासन व एम्बुलेंस संचालक कंपनी जीवीके ईएमआरआई ने 10 लाख की आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया था जो अब तक मृतक आश्रितों को नहीं मिली।
  • ईएमटी संजय पायलट की मौत को भी तीन साल होने के बावजूद मृतक आश्रित परिवार को पूरा मुआवजा नहीं मिला है।