Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Screen Time and Fertility : मोबाइल की लत बन रही है बांझपन का नया कारण, डॉक्टर से जानें कैसे कम हो रही फर्टिलिटी

Screen Time and Fertility: क्या स्क्रीन टाइम आपकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल रहा है? जानें कैसे मोबाइल, लैपटॉप, ब्लू लाइट, मोटापा और खराब नींद फर्टिलिटी घटा सकते हैं।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Dimple Yadav

Nov 23, 2025

Screen Time and Fertility

Screen Time and Fertility (photo- freepik)

Screen Time and Fertility: आजकल हमारी पूरी जिंदगी स्क्रीन के इर्द-गिर्द घूमने लगी है। सुबह अलार्म से लेकर रात को सोशल मीडिया स्क्रोल करते-करते सो जाने तक, हम घंटों मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर बिताते हैं। आमतौर पर लोग स्क्रीन की लत को मानसिक तनाव या प्रोडक्टिविटी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन अब डॉक्टर बता रहे हैं कि यह आदत हमारी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता पर भी असर डाल रही है।

मुंबई के डॉक्टर एल एच हीरानंदानी अस्पताल की IVF स्पेशलिस्ट डॉक्टर हेतल पारेख के अनुसार, स्क्रीन की आदत को कई बार लोग बहुत हल्के में लेते हैं, जबकि यह शरीर की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को गड़बड़ कर सकती है। खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले से थायरॉइड, PCOS, लो AMH या लो स्पर्म काउंट जैसी दिक्कतें हैं।

कैसे स्क्रीन टाइम मर्दों की फर्टिलिटी पर असर डालता है?

डॉक्टर पारेख बताती हैं कि कई पुरुषों में स्पर्म काउंट कम, स्पर्म की क्वालिटी खराब या मूवमेंट धीमा होने का कारण स्पष्ट नहीं मिलता। ऐसे मामलों में स्क्रीन की लत एक इनडायरेक्ट कारण हो सकती है। लैपटॉप को घंटों गोद में रखना। इससे टेस्टिकल्स का तापमान बढ़ता है, जिससे स्पर्म काउंट कम हो सकता है। मोबाइल को पैंट की जेब में रखना, इससे भी लगातार गर्मी और हल्की रेडिएशन स्पर्म क्वालिटी को प्रभावित कर सकती है। यह अकेली वजह नहीं है, लेकिन कमजोर फर्टिलिटी वाले पुरुषों में यह समस्या बढ़ा सकती है।

महिलाओं के लिए स्क्रीन टाइम कितना नुकसानदायक?

स्क्रीन की लत सिर्फ पुरुषों नहीं, महिलाओं के हार्मोन चक्र को भी बिगाड़ सकती है। ब्लू लाइट से नींद खराब होती है। लेट-नाइट मोबाइल इस्तेमाल से स्लीप साइकल बिगड़ता है। डिजिटल ओवरलोड से तनाव बढ़ता है। इन सबका असर शरीर के हार्मोन्स पर पड़ता है, जिसके कारण ओव्यूलेशन अनियमित हो सकता है। पीरियड साइकल डिस्टर्ब हो सकता है। लो AMH वाली महिलाओं की समस्या और बढ़ सकती है। बैठे रहने की आदत भी कम करता है फर्टिलिटी।

स्क्रीन के कारण लोग लगातार बैठे रहते हैं, जिससे वजन बढ़ता है, इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है, हार्मोन गड़बड़ाते हैं ये सभी फैक्टर पुरुष और महिला दोनों में प्रेग्नेंसी चांस को कम कर देते हैं। मोबाइल और लैपटॉप की लाइट हमारे मेलाटोनिन हॉर्मोन को बिगाड़ती है, जो नींद का हॉर्मोन है। नींद खराब होने से स्पर्म प्रोडक्शन, ओव्यूलेशन, सेक्स ड्राइव पर असर पड़ता है।

रिश्तों में दूरी और बच्चा प्लान करने में दिक्कत

रिश्तों में भी स्क्रीन की दखल बढ़ गई है। हर वक्त फोन चेक करना, पार्टनर से बात करते समय मोबाइल में खो जाना, नोटिफिकेशन पर ज्यादा ध्यान देना। इससे इमोशनल कनेक्शन और इंटिमेसी कम हो जाती है, जो सीधे-सीधे कंसीव करने के चांस घटा देती है।

क्या करें?

डॉक्टर सलाह देते हैं, स्क्रीन टाइम कम करें, फोन को शरीर से दूर रखें, लैपटॉप गोद में न रखें, रात को मोबाइल से दूरी बनाएं, रोज थोड़ी एक्सरसाइज करें, कपल्स नो-फोन टाइम रखें। स्क्रीन की लत भले सीधी वजह न हो, लेकिन यह कई छोटी-छोटी समस्याओं को जोड़कर फर्टिलिटी को कम कर सकती है। इसलिए डिजिटल लाइफ में थोड़ा बदलाव आपके पेरेंट बनने के सफ़र को आसान बना सकता है।