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डोटासरा का तंज: ‘दिलावर सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन चुके, उनका काम विवादित बयान और झूठी घोषणाएं करना रह गया’

राजस्थान में 6 दिसंबर को शौर्य दिवस मनाने का आदेश वापस लेने के बाद कांग्रेस व सिविल सोसाइटी ने सरकार पर हमला बोला। डोटासरा ने कहा, यह आदेश सरकार की गलत सोच का उदाहरण है। शिक्षा मंत्री दिलावर सिर्फ विवादित बयान देकर तनाव बढ़ा रहे हैं।

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जयपुर

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Arvind Rao

Dec 01, 2025

Govind Singh Dotasara commented on Madan Dilawar

Govind Singh Dotasara and Madan Dilawar (Patrika Photo)

जयपुर: राजस्थान में छह दिसंबर को शौर्य दिवस मनाने को लेकर जारी आदेश भले ही 12 घंटे के भीतर वापस ले लिया गया हो, लेकिन इस निर्देश को लेकर सियासी और सामाजिक संगठनों में विरोध तेज हो गया है। कांग्रेस और कई सिविल सोसाइटी संगठनों ने इसे सरकार की गलत प्राथमिकताओं का उदाहरण बताया।

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, शिक्षा विभाग का यह आदेश भजनलाल शर्मा सरकार की सोच को उजागर करता है। उनके मुताबिक, यह आदेश देर रात जारी हुआ और रविवार सुबह बिना कारण बताए वापस भी ले लिया गया। डोटासरा ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पर निशाना साधते हुए कहा, दिलावर सरकार के ऐसे मंत्री हैं, जिनका काम सिर्फ विवादित बयान देना और झूठी घोषणाएं करना रह गया है। वे सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन चुके हैं।

डोटासरा ने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग की हालत इतनी खराब है कि अधिकारी खुद आदेश जारी करने से मना कर रहे हैं। जबकि आदेश मंत्री के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप से प्रसारित हुआ था।

रफीक खान का आरोप

विधायक रफीक खान ने कहा कि यह आदेश राजस्थान की समावेशी संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने मंत्री के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें छात्रों से पारंपरिक पोशाक पहनने की बात कही गई थी और बाद में ‘क्या कोई लड़की बुर्का पहनकर आई?’ जैसी टिप्पणी कर दी गई।

खान ने कहा कि जब राजस्थान को स्कूल नामांकन बढ़ाने, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, भवनों की मरम्मत करने और शिक्षकों की भर्ती तेज करने की जरूरत है, तब मंत्री सिर्फ हिंदू-मुस्लिम राजनीति में उलझे हुए हैं।

सिविल सोसाइटी ने भी जताई चिंता

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) और अन्य संगठनों ने मांग की कि मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि आदेश स्थायी रूप से वापस लिया गया है या सिर्फ टाल दिया गया है। PUCL अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा, यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 तथा राइट टू एजुकेशन एक्ट व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लंघन करता है, जिनमें समानता, धर्म निरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बात कही गई है।

सिविल सोसाइटी ने शिक्षा निदेशक सीताराम जाट की उस स्पष्टीकरण पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स को ‘भ्रामक’ बताया था। संगठनों का कहना है कि सरकार सिर्फ़ दिखावे में आदेश वापस ले रही है, असली इरादा अभी भी वही है।