SMS Hospital Fire : एसएफएल की टीम दोबारा अंदर जाते। दूसरे वार्ड में मरीज को शिफ्ट किया तो उनकी व्यवस्था देखते डाक्टर। फोटो अनुग्रह सोलोमन।
SMS Hospital Fire : जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में रविवार रात हुए अग्निकांड में छह मरीजों की मौत के बाद जांच कमेटी गठित तो कर दी गई, लेकिन कमेटी खुद सवालों के घेरे में आ गई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अंबरीश कुमार ने सोमवार को विभाग के आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय कमेटी बनाई, लेकिन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को शामिल नहीं किया गया।
डिस्कॉम के सीनियर इंजीनियरों के बीच दिनभर इस बात को लेकर चर्चा रही कि सरकारी भवनों में हुए अग्निकांड की जांच में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की मौजूदगी जरूरी होती है। नियमों के अनुसार, किसी सरकारी भवन में आग लगने की सूचना घटना के तीन घंटे के भीतर निर्धारित प्रपत्र में इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को दी जानी चाहिए, ताकि मौके से साक्ष्य एकत्र कर कारणों का पता लगाया जा सके।
ट्रोमा सेंटर में बिजली तंत्र के रखरखाव की जिम्मेदारी सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडल्यूडी) के पास है। ऐसे में विभाग के मुख्य अभियंता (विद्युत) अजय माथुर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन्हीं की ओर से इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर को सूचना दी जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कमेटी में राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी के अतिरिक्त निदेशक मुकेश कुमार मीणा, मुख्य अभियंता चंदन सिंह मीणा, मुख्य अभियंता विद्युत पीडल्यूडी अजय माथुर, अतिरित प्राचार्य डॉ.आर.के. जैन और नगर निगम के मुख्य अग्निशमन अधिकारी शामिल हैं। कमेटी में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य और नोडल अधिकारी को शामिल नहीं किया गया है। कमेटी के गठन को लेकर जब आयुक्त इकबाल खान से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार कमेटी का गठन हुआ है और शीघ्र ही रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
ट्रॉमा सेंटर हादसे के बाद प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर तुरंत पुनर्विचार किया जाए। इसमें नेशनल बिल्डिंग कोड, इलेक्ट्रिकल और फायर सेफ्टी ऑडिट, तथा फायर लोड शामिल हैं। अगर प्रोटेशन सिस्टम मजबूत होगा तो शॉर्ट सर्किट से आग नहीं लगेगी, क्योंकि शॉर्ट सर्किट होते ही सप्लाई स्वत: बंद हो जाएगी। इसके अलावा, जहां ज्यादा लोड पर बिजली के उपकरण चलते हैं, उनका समय-समय पर रखरखाव बेहद जरूरी है। फायर लोड की गणना से समय रहते यह पता लगाया जा सकता है कि किसी भवन में आग लगने पर उस पर नियंत्रण पाया जा सकेगा या नहीं।
राकेश सिंह, इलेक्ट्रिकल एक्सपर्ट,जयपुर
Published on:
07 Oct 2025 08:41 am
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