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जैसलमेर हादसे के बाद 200 से ज्यादा कारखाने बंद, बस बॉडी बिल्डर्स उद्योग संकट में

राजस्थान का बस बॉडी बिल्डिंग उद्योग गहरे संकट में आ गया है।

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जयपुर। जैसलमेर में हुए बस हादसे के बाद परिवहन विभाग की कार्रवाई से राजस्थान का बस बॉडी बिल्डिंग उद्योग गहरे संकट में आ गया है। हादसे के तुरंत बाद विभाग ने नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए राज्यभर में बस बॉडी निर्माण और रिपेयर करने वाले कारखानों में खड़ी तैयार और अधूरी बसों को सीज कर दिया। करीब एक महीने बाद भी यह कारखाने बंद हैं, जिससे उद्योगपतियों से लेकर मजदूरों तक सभी प्रभावित हो रहे हैं।

राजस्थान में करीब 700 बस बॉडी बिल्डर्स सक्रिय हैं, जिनमें से लगभग 200 कारखानों को सीज किया गया है। इन जगहों पर 1000 से ज्यादा बसें खड़ी हैं। अचानक काम बंद होने से दिवाली जैसे बड़े सीजन में तैयार गाड़ियां ग्राहकों को नहीं मिल सकीं। कई कारखाना मालिक भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, वहीं मजदूरों और कारीगरों को समय पर वेतन नहीं मिलने से उनके परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। अधिकांश कारखाने किराए के शेड में चलते हैं, ऐसे में मालिकों पर किराया चुकाने का अलग दबाव है।

ऑल राजस्थान बस ट्रक बॉडी बिल्डर्स एसोसिएशन के महामंत्री महावीर प्रसाद शर्मा ने कहा कि उद्योग सालों से तय मानकों के अनुसार काम कर रहा है, लेकिन अचानक हुई कार्रवाई ने सभी को परेशान कर दिया। उनका कहना है कि तैयार बसें तो आरटीओ पासिंग के दौरान जांच से गुजरती ही हैं, फिर भी बिना वजह कई बसों को सीज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि 98% कारखानों के पास बस कोड नहीं है, जबकि 22B सेल्फ-सर्टिफिकेशन पहले से लागू था। अब अचानक रोक लगा देने से पूरा उद्योग ठप हो गया है।

एसोसिएशन ने चेताया कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो राजस्थान का यह बड़ा उद्योग दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो जाएगा। इससे प्रदेश के हजारों कारीगर बेरोजगार हो जाएंगे और राज्य का बड़ा राजस्व खत्म हो जाएगा। छोटे बॉडी बिल्डर्स के लिए भविष्य में जगह नहीं बचेगी और सिर्फ कुछ बड़े प्लेयर्स ही बाजार में रह जाएंगे।

एसोसिएशन की प्रमुख मांगें

– सभी सीज कारखानों को तुरंत खोलने की अनुमति दी जाए।
– तैयार बसों को ऑपरेटरों को सौंपने की इजाजत मिले।
– खामियां मिलने पर सिर्फ बस का रजिस्ट्रेशन रोका जाए, पूरा कारखाना सीज न किया जाए।
– सभी बसों में इमरजेंसी गेट, फायर सेफ्टी और ग्लास हैमर अनिवार्य किया जाए।
– बस कोड AIS-052/119/153 की प्रक्रिया सरल कर कम से कम एक वर्ष का समय दिया जाए।
– परिवहन आयुक्त की अगुवाई में बैठक कर उद्योग के भविष्य का समाधान निकाला जाए।